न्यूज डेस्क– भारत में बच्चियों के साथ रेप के घटनाएं रुकने का नाम नही ले रही है। सरकार आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कानून बनाने के लाख दावे क्यों न करें लेकिन असल सच्चाई यही है कि ये घटनाएं निरंतन बढती ही जा रही है।
इसलिए देश में बच्चियों के साथ बलात्कार के मामले में फांसी की सज़ा की मांग तेज़ हो रही है। फांसी की मांग के समर्थन और विरोध में भी विचार बंटे हुए हैं। कोई इससे अपराध में कमी होने का तर्क रखता है और कोई पहले से ही मौजूद क़ानूनों को पर्याप्त बताता है। ऐसे में जानते हैं कि किस देश में बच्चों से रेप के लिए क्या सज़ा है।
भारत में रेप पर सजा
भारत की बात करें तो यहां ‘रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर’ मामले में ही फांसी की सज़ा हो सकती है। बच्चों के साथ बलात्कार के मामले ‘पोक्सो एक्ट’ के तहत मामला दर्ज़ किया जाता है। इस क़ानून में बच्चों के साथ बलात्कार के दोषियों के लिए 10 साल से लेकर आजीवन उम्र क़ैद तक की सज़ा का प्रावधान है।
हालांकि, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा सरकार ने अपने-अपने राज्यों में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार के मामले में फांसी की सज़ा देने का विधेयक तैयार कर लिया है, और इस पर क़ानून बनाने की तैयारी है। दिल्ली में इसी तरह का क़ानून पारित करने के लिए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष अनशन पर बैठी हैं। वो एक कदम आगे जा कर बलात्कारियों को 6 महीने के भीतर फांसी देने की मांग कर रही हैं। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भी मध्यप्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के नए विधेयक से इत्तेफाक रखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर पोक्सो एक्ट में बदलाव की बात कर रहा है।
दुनिया में रेप के लिए सजा?
पूरी दुनिया में रेप को लेकर अलग-अलग सज़ा का क़ानून है। कई देशों में बच्चों के साथ यौन शोषण को रेप से ज़्यादा बड़ा अपराध माना जाता है। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली में शोध कर रहीं रिसर्च एसोसिएट नीतिका विश्वनाथ बताती हैं कि दुनिया में दो तरह के देश हैं। एक वो जहां फांसी की सज़ा का प्रावधान है पर बच्चों के साथ रेप के लिए नहीं। दूसरे वो जहां किसी भी अपराध के लिए मौत की सज़ा का प्रावधान नहीं है।
नीतिका के मुताबिक जिन देशों में अपराध के लिए मौत की सज़ा का प्रावधान होता है उन देशों को रिटेशनिस्ट देश कहा जाता है। उनके मुताबिक ऐसे कई रिटेशनिस्ट देशों में भी बच्चों से रेप के लिए फांसी की सज़ा का प्रावधान नहीं है। हालांकि, यहां बच्चों से यौन हिंसा के लिए कड़ी सज़ा तय की गई है। 2016 में हक़-सेंटर फॉर चाइल्ड राइट ने दुनिया भर के देशों में बच्चियों के साथ हुई यौन हिंसा और रेप पर सज़ा के प्रावधान पर एक रिपोर्ट तैयार की थी। उस रिपोर्ट के मुताबिक हर देश में बच्चों के साथ रेप पर अलग-अलग सज़ा दी जाती है।
मलेशिया – यहां बच्चों के साथ होने वाली यौन हिंसा के लिए सबसे ज़्यादा 30 साल जेल और कोड़े मारने की सज़ा का प्रावधान है।
सिंगापुर – इस देश में चौदह साल के बच्चे के साथ रेप होने पर अपराधी को 20 साल जेल, कोड़े मारने और जुर्माने की सज़ा दी जा सकती है।
अमरीका – यहां बच्चों के साथ रेप के लिए पहले मौत की सज़ा का प्रावधान था। लेकिन, कैनेडी बनामलुइसियाना (2008) मामले में मौत की सज़ा को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया। कोर्ट का कहना था कि जिस मामले में मौत नहीं हुई है उसमें मौत की सज़ा देना अनुपाती नहीं है यानी सज़ा जुर्म से ज़्यादा बड़ी है. इसलिए अब उन राज्यों में मौत की सज़ा नहीं है।
हालांकि, अमरीका में बच्चों के साथ रेप के मामले में राज्यों के अनुसार प्रावधान भी अलग-अलग हैं.
इन देशों में नही है मौत की सजा
फ़िलीपींस – जिन देशों में मौत की सज़ा नहीं है उनमें बच्चों के साथ रेप पर सबसे सख़्त क़ानून फ़िलीपींस में है। यहां बच्चों के साथ रेप साबित होने पर दोषी को बिना पैरोल के 40 साल जेल तक की सज़ा हो सकती है।
ऑस्ट्रेलिया – यहां बच्चों के बलात्कारी को 15 साल से 25 साल तक की जेल हो सकती है।
कनाडा – यहां बच्चों के साथ रेप पर अधिकतम 14 साल जेल की सज़ा हो सकती है.
इंग्लैंड व वेल्स – बच्चों के साथ रेप पर 6 साल से 19 साल की जेल से लेकर आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान है।
जर्मनी- में बच्चों के साथ बलात्कार के बाद मौत पर उम्र कैद की सज़ा है। लेकिन, सिर्फ बलात्कार के लिए 10 साल की अधिकतम सज़ा तय की गई है।
दक्षिण अफ्रीका– में रेप का दोषी पाए जाने पर पहली बार में 15 साल जेल की सज़ा का प्रावधान है। दूसरी बार दोषी पाए जाने पर 20 साल की कैद और तीसरी बार में 25 साल की कैद का प्रावधान है।
न्यूजीलैंड– बच्चो के साथ रेप के अपराध पर ये सज़ा 20 साल तक की है।
इन देशों में है रेप पर मौत की सजा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की 2013 की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सिर्फ़ आठ देशों में बाल अपराधियों के लिए फांसी की सज़ा का प्रावधान है। ये देश हैं चीन, नाइजीरिया, कांगो, पाकिस्तान, ईरान, सऊदी अरब, यमन और सूडान।
‘हक़’ की सह निदेशक भारती अली का कहना है, “दुनिया के ज़्यादातर देश फांसी पर रोक लगा रहे हैं और हम हैं कि पिछड़ते जा रहे हैं। जो लोग बच्चियों के मामले में बलात्कार पर फांसी की वकालत करते हैं उनको सोचना चाहिए कि रेप पर फांसी होने पर हर दोषी रेप के बाद बच्चे की हत्या कर सकता है। हमें इस तर्क पर ध्यान देने की ज़रूरत है।