हिन्दू धर्म में सुहागन स्त्रियों के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु एवं सुखद वैवाहिक जीवन के लिए निर्जल व्रत रखती हैं। करवा चौथ के व्रत में स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं। उसके बाद रात में चन्द्रमा निकलने के बाद पूजन करती हैं। इस साल 24 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत होगा।
पूजा करने का शुभ मुहूर्त:
इस बार करवा चौथ के दिन रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा का पूजन होगा। यह शुभ संयोग पूरे 5 साल बाद बन रहा है।
व्रत तिथि : 24 अक्टूबर 2021, दिन रविवार
चतुर्थी तिथि आरंभ : 24 अक्टूबर 2021 रविवार को सुबह 03 बजकर 01 मिनट से होगा शुरू
चतुर्थी तिथि समाप्त : 25 अक्टूबर 2021 सोमवार को सुबह 05 बजकर 43 मिनट पर
चंद्रोदय का समय : 8 बजकर 7 मिनट पर दिखेगा चांद
पूजा विधि:
करवा चौथ के दिन सुहागन स्त्रियां सुबह से ही निर्जला व्रत रखती हैं। सोलह श्रृंगार करके मुहूर्त के अनुसार पूजा करती हैं। पूजा के दौरान चौथ माता (गौरी मां) और भगवान गणेश की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के समय देवी मां की तस्वीर को पूजन चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर स्थापित किया जाता है। उसके बाद माता को 56 प्रकार का भोग चढ़ाया जाता है। देवी मां का पूजन सम्पन्न होने के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य देकर पूजा को पूर्ण किया जाता है। उसके बाद स्त्रियां अपने पति के हाथों जल पीकर अपने व्रत का पारण करती हैं।
क्यों देखती हैं महिलाएं छलनी से चांद:
करवा चौथ के दिन छलनी से चांद देखने की इस परंपरा की कल्पना चंद्रमा और भगवान ब्रह्मा से की गई है। इसलिए सुहागन स्त्रियां चांद देखने के बाद अपने पति का चेहरा छलनी से देखती है। देवी मां से प्रार्थना करती हैं कि उनका पति भी चांद जैसे गुणों से परिपूर्ण हो।
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