न्यूज डेस्क– कहा जाता है कि शक्तिशाली वही है जिसके हाथ में सूचना है। प्राचीन काल से ही जासूस जहां अपने राज्य को बड़ी से बड़ी मुश्किल से बचाने की क्षमता रखते थे वहीं उनकी दी गई एक सूचना दूसरे राज्य के लिए काल बन जाती थी।
आज के समय में भी सरकार राजनैतिक प्रयोजनों के लिए जासूसों को देश के भीतर और बाहर तैनात करती है। जासूसी का काम जहां एक तरफ रोमांच से भरा होता है वहीं जान का जोखिम भी बना रहता है। इसे पेशे की बिडम्बना ही कहेंगे कि जो जासूस अपने देश के लिए सबकुछ करने के लिए तैयार रहता है पकड़े जाने पर वही देश उसे पहचानने से इंकार कर देता है। इसलिए ज्यादातर जासूस पकड़ने से बेहतर मर जाना पसंद करते हैं।
जासूसों की जिंदगी की तरह मौत भी बेहद गुप्त होती है। कभी वे गुप्त रूप से किसी को मौत के घाट उतार देते हैं तो कभी वे खुद गुप्त रूप से मौत की गोद में समा जाते हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे रासायनिक जहर जिनका प्रयोग कर जासूस लोगों को आराम से मौत की नींद सुला देते हैं।
राइसिन: बुल्गारिया के लेखक और सत्ता के खिलाफ कलम चलाने वाले जॉर्जी मार्कोव को इस ज़हर से मारा गया था। कहते हैं कि सड़क पर चल रहे जॉर्जी को छतरी के सहारे राइसिन जहर दिया गया था। हत्यारे का कोई पता नहीं चल सका।
रेडियोएक्टिव पोलोनियम 210: कहा जाता है कि इस खतरनाक रेडियोऐक्टिव का प्रयोग रूस ने अपने ही एक पूर्व नागरिक और FSB के अधिकारी एलेक्ज़ैंडर लित्विनेंको को मारने के लिए चाय में मिलाकर धीमें ज़हर के रूप में किया था। एलेक्ज़ैंडर लित्विनेंको को रूस गद्दार मानता था वहीं ब्रिटेन मानता था कि यूरोप में रूस द्वारा प्रायोजित क्राइम को रोकने में वे मदद कर रहे थे।
सरिन: ये एक तरह की गैस होती है जिसकी वजह से संपर्क में आने वाले की तुरंत मौत हो जाती है। 1995 में टोक्यो ट्रेन के सबवे में कुछ लोगों ने इस ज़हर के पैकेट को पंचर कर छोड़ दिया था। इसकी वजह से दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी।
सायनाइड: कहते हैं सायनाइड के संपर्क में आने के कुछ ही पलों बाद व्यक्ति मौत की आगोश में चला जाता है। कई देश अपने जासूसों और सैनिकों को सायनाइड का कैप्सूल देते हैं जिससे पकड़े जाने पर होने वाले टॉर्चर और सूचना लीक करने से वे बच सकें। हिटलर ने गैस चैंबर में हाइड्रोजन सायनाइड की सहायता से ही नरसंहार को अंजाम दिया था।
बोटूलिनम टॉक्सिन: इसका प्रयोग धीमे जहर के रूप में किया जाता है। इसे खुला छोड़कर कहीं रख दिया जाए तो ये शरीर में घाव के माध्यम से प्रवेश कर जाता है और इलाज ना हुआ तो मौत हो जाती है। खाने में मिलाकर भी इसे दे दिया जाए तो भी संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाती है।
आर्सेनिक: इसे जहरों का राजा कहा जाता है। इस जहर ने नेपोलियन बोनापार्टा, इंग्लैंड के जॉर्ज तृतीय और सिमॉन बोलिवर की जान ली थी। हालांकि कुछ महिलाएं इसका प्रयोग ब्यूटी प्रॉडक्ट के रूप में भी करती थीं।
हेमलॉक: यह यूरोप और दक्षिण अफ्रीका में पाया जाने वाला एक पौधा है। इसकी 100mg की मात्रा एक व्यक्ति को मौत के घाट उतारने के लिए पर्याप्त है। सुकरात ने इसका प्रयोग कर अपनी जान ली थी। इसके अलावा मर्करी, टेट्रोडॉक्सिन, डायमेथिलमर्करी, बेलाडोना और एकोनाइट जहर भी ऐसे हैं जिनका प्रयोग इंसान को मौत दे सकता है।