मंगलवार को 13 वर्षीय रेप विक्टिम को 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की केरल हाईकोर्ट ने अनुमति दी है। न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस की खंडपीठ ने एक विशेष बैठक में बच्चे के पिता द्वारा दायर याचिका पर यह अनुमति दी है।
आदेश के अनुसार, पीठ ने टिप्पणी की कि गर्भावस्था नाबालिग को बलात्कार की याद दिला सकती है और हर रोज उसे आघात से गुजरना समाज के हित में नहीं है।
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पीडिता की गर्भावस्था समाज के हित में नहीं-
पीठ ने कहा, “यह (गर्भावस्था) भी बलात्कार की घटना के शिकार को याद दिलाने की संभावना हो सकती है। जाहिर है कि यह समाज के हित में नहीं है कि यह युवा पीड़िता अपने जीवन में हर रोज बलात्कार की घटना के आघात से गुजरे। पीठ ने कहा कि उसके लिए गर्भावस्था का कारण आजीवन रहेगा और उसे जीवन भर दर्दनाक अनुभव के साथ रहना पड़ सकता है।”
पेट में दर्ज से खुला राज…
आपको बता दें कि 13 साल की इस पीड़िता ने अपने 14 वर्षीय भाई पर रेप के आरोप लगाए थे। लड़की ने जब पेट दर्द की शिकायत की तो उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिस दौरान उसके गर्भवती होने का पता चला। चूंकि बच्चे की गर्भावस्था 20-24 सप्ताह की गर्भ कालीन आयु से परे थी, इसलिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया। बोर्ड ने कहा कि गर्भपात की अनुमति दी जा सकती है।
कोर्ट ने कहा, “मेडिकल बोर्ड ने कहा कि गर्भावस्था को जारी रखने से गर्भवती महिला के जीवन को खतरा होगा। उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर चोट लगेगी। इसलिए गर्भावस्था की समाप्ति की अनुमति दी गई।”
कोर्ट ने दी गर्भपात की इजाजत…
दरअसल बलात्कार के मामले में, गर्भावस्था के कारण पीड़ा को वैधानिक रूप से गर्भवती महिला के मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर चोट माना जाता है। दो रजिस्टर्ड डॉक्टरों की राय गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए पर्याप्त हैं। गर्भावस्था को जारी रखने की अनुमति बच्चे के साथ-साथ उसके माता-पिता के लिए भी दर्दनाक होगी।
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