बहराइच — कतर्निया घाट वन्य जीव विहार के दीदार पर 15 जून से प्रतिबंध लग जाएगा। पर्यटकों के जंगल भ्रमण पर पाबंदी लग जाएगी। बुकिंग नहीं होगी। यह प्रतिबंध 15 नवंबर तक रहेगा।
इस बीच पर्यटक जंगल का भ्रमण कर जंगली जानवरों और प्राकृतिक छटा का दीदार नही कर सकेंगे। 15 नवंबर तक प्रतिबंध रहेगा। जंगल में प्रतिबंध लगने के चलते इस समय बुङ्क्षकग फुल चल रही है।
कतर्निया घाट संरक्षित वन क्षेत्र के कतर्निया घाट, निशानगाड़ा व मुर्तिहा रेंजों में दुर्लभ बाघ, तेंदुआ, काकड़, पाढ़ा, गैंडा, बारहसिंघा समेत कई वन्य जीव बिहार करते हैं। जंगल के बीच से होकर बहने वाली नेपाल की गेरुआ नदी में डाल्फिन की उछलकूद पर्यटकों को काफी आकर्षित करती है। लेकिन बरसात के मौसम प्रतिवर्ष कतर्नियाघाट में पर्यटकों का आवागमन रोंक दिया जाता है।
क्योंकि न सिर्फ मौसम परिवर्तन से वन्य जीवों का व्यवहार बदल जाता है। बल्कि जंगल के कच्चे रास्ते भी कीचड़ और जलभराव की जद में आ जाते हैं। जिससे जंगल में भ्रमण के लिए जाने वाले लोग मुसीबत में फंस सकते हैं। इसी के चलते इस बार भी वन्यजीव विहार में भ्रमण पर 15 जून से प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। प्रभागीय वनाधिकारी जीपी सिंह ने बताया कि 551 वर्ग किलोमीटर में फैले वन प्रभाग में सात वनरेंज हैं। बरसात के महीने में जंगल में बने शेड खराब हो जाते हैं। रास्ते भी झाड़-झंखाड़ व जंगली घास से अवरुद्ध रहते हैं।
हर स्थान पर पानी भर जाता है। वन्य जीवों के हमले का खतरा बढ़ जाता है। उन्होने कहा कि गेरुआ नदी में पानी अधिक होने से बोटिंग में भी खतरा रहता है। जिसके चलते पांच महीने तक पर्यटकों के भ्रमण पर अंकुश लगाया जाता है। बरसात का मौसम खत्म होने के बाद 15 नवंबर से वन्य जीव विहार नई तैयारी के साथ पर्यटकोंं के भ्रमण के लिए पुन: खोला जाएगा। वहीं सेंक्चुरी क्षेत्र में भ्रमण पर प्रतिबंध लगने में सिर्फ दो दिन शेष रहने के चलते इस समय गेस्ट हाउस और थारू हट की बुकिंग फुल चल रही है।
(रिपोेर्ट-अनुराग पाठक,बहराइच)