प्रदेश में कई दिनों से चल रही सियासी अटकलों के बीच आज कर्नाटक के मुख्यमंत्री के बीएस येदियुरप्पा (Yediyurappa) ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया. बता दें कि यह चौथी बार है जब बीएस येदियुरप्पा ने सीएम पद से इस्तीफा दिया है. येदियुरप्पा अब तक चार बार सीएम बने लेकिन कभी भी अपने पांच साल पूरे नहीं कर पाए.
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पूरे भाषण में येदियुरप्पा काफी भावुक दिखाई दिए
दरअसल सीएम येदियुरप्पा (Yediyurappa) ने सोमवार सुबह अपनी सरकार के दो साल पूरे होने के कार्यक्रम में हिस्सा लिया और लोगों के सामने अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट रखी. अपने पूरे भाषण में येदियुरप्पा काफी भावुक दिखाई दिए.
अपने भाषण में येदियुरप्पा ने कहा कि किस तरह उन्होंने उस दौर में साइकिल पर सवार होकर राज्य भर में बीजेपी को मजबूत किया. जिसके बाद आंखों में आसूं लिए उन्होंने अपना इस्तीफा सौंपने की बात कही.
इसके बाद दोपहर में वे राजभवन पहुंचे और राज्यपाल थावरचंद गहलोत को अपना इस्तीफा सौंपा, जिसे तुरंत स्वीकार कर लिया गया. उनसे अगले मुख्यमंत्री के शपथ लेने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा गया है. इस्तीफे के बाद येदियुरप्पा ने कहा कि उन्होंने हाईकमान के दबाव में यह इस्तीफा नहीं दिया, बल्कि खुद इसकी पेशकश की. उन्होंने कहा कि मैं अब पार्टी को मजबूत करने का काम करुंगा और यह सुनिश्चित करूंगा कि 2023 में पार्टी फिर सत्ता में आए.
येदियुरप्पा कर्नाटक में मास नेता माने जाते हैं…
इसमें कोई दो राय नहीं कि येदियुरप्पा (Yediyurappa) कर्नाटक में मास नेता माने जाते हैं और लिंगायत समुदाय से आते हैं. लिंगायत समुदाय हमेशा से बीजेपी का ट्रेडिशनल वोटर रहा है और सत्ता की चाबी भी इसी समुदाय के पास होती है. यही कारण है कि हाईकमान के सामने चेहरा नियुक्त करना चुनौती रही है. लिंगायत समुदाय 19% है ऐसे में उन्हें नाराज करने का सीधा अर्थ है कि सत्ता हाथ से गवाना. यही कारण है कि बीजेपी हर फैक्टर को देख कर चेहरा नियुक्त करेगी.
वहीं इस्तीके के साथ ही राज्य में नए मुख्यमंत्री के नाम की गहमागहमी तेज हो गई है. राज्य में खनन मंत्री मुर्गेश निराणी जो कि खुद लिंगायत भी हैं और आरएसएस के करीब रहे हैं वे दिल्ली में है. साथ ही राज्य में ब्राह्मण चेहरा प्रह्लाद जोशी भी दिल्ली में हैं.
येदियुरप्पा के आंसू बीजेपी को कितना पडेंगे भारी
अब देखना यह होगा की येदियुरप्पा का इस तरह भावुक होना और उनके आंसू बीजेपी को किस दिशा में ले जायेंगे यह भी सवाल बना हुआ है. लेकिन इतना साफ है कि जिस तरह कांग्रेस भी येदियुरप्पा के समर्थन में खड़ी हुई, अब येदियुरप्पा के इस्तीफे को वह भी बड़ा मुद्दा बनाएगी .
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