दिल्ली– कोरोना संकट का असर कांवड़ यात्रा पर भी पड़ा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने संयुक्त रूप से कांवड़ यात्रा स्थगित करने का फैसला लिया है.
कोरोना के चलते यात्रा स्थगित-
देशव्यापी कोरोना संकट का असर सावन में होने वाले कांवड़ यात्रा पर भी पड़ा है. हर साल सावन में शुरू होने वाली पवित्र कांवड़ यात्रा कोरोना संकट के चलते स्थगित हो गई है. देश के अलग-अलग हिस्से से आने वाले लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेते थे.
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तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कांवड़िया यात्रा पर बैठक की थी, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है. इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हिस्सा लिया था.
बैठक के बाद तीनों मुख्यमंत्रियों ने संयुक्त रूप से यह फैसला लिया कि इस साल कांवड़ यात्रा को इजाजत नहीं दी जाएगी. हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड कोरोना वायरस संकट से जूझ रहे हैं. राज्यों में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है. ऐस में सरकारों ने फैसला किया है कि कावंड़ यात्रा को रद्द कर दिया जाए.
जानें कब और कैसे हुई थी कांवड़ यात्रा की शुरूआत?
कांवड़ियों की संख्या इतनी ज्यादा होती है कि सरकार को उनकी पैदल यात्रा के लिए भारी इंतजाम करना पड़ता है. कांवड़ियों के रास्ते में जगह-जगह विश्रामशालाएं लोग बनाते हैं और उन्हें खिलाते हैं. बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच अगर कांवड़ यात्रा को इजाजत दी जाती तो कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ जाती.
लाखों की संख्या में जुटते हैं श्रद्धालु-
ऐसे में राज्य सरकारों ने फैसला किया है कि कोरोना संकट के चलते कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया जाए. सावन में शुरू होने वाली यह धार्मिक यात्रा बेहद चर्चा में रहती है. कांवड़िये बड़ी संख्या में हरिद्वार से से गंगाजल कांवड़ में भरकर अपने यहां के शिवमंदिरों में पहुंचते हैं.
कांवड़ यात्रा के भव्य इंतजाम किए जाते हैं. सैकड़ों वर्षों की परंपरा में यह पहली बार हो रहा है जब कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया गया हो. कांवड़ यात्रा 5 जुलाई से 17 जुलाई के बीच तक प्रस्तावित थी जो अब नहीं होगी