आज गणतंत्र दिवस पूरे जनपद में धूमधाम से मनाया जा रहा है। सभी प्रतिष्ठानों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया है। जिसके चलते आज भोगनीपुर वन रेंज ऑफिस में युवा तेजतर्रार अनुभाग अधिकारी बवीता सिंह द्वारा प्रथम बार झंडारोहण का दायित्व निभाया गया। जिसके चलते युवा महिला अफसर की आंखों खुशी से एक पल के लिये भर आई।
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उन्होंने अपने संक्षिप्त भाषण में बताया कि गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडा फहराने में क्या अंतर होता है। संविधान के मुताबिक, देश में कोई भी व्यक्ति कभी भी, कहीं भी राष्ट्रीय ध्वज बिना किसी दबाव के राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है।
तिरंगा फहराने में अंतर
वैसे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस ऐसे दो उत्सव हैं, जब पूरा देश एक साथ एक ध्वज के नीचे नजर आता है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस दोनों ही दिन तिरंगा फहराया जाता है, लेकिन तिरंगा फहराने में थोड़ा अंतर होता है।
15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन राष्ट्रीय ध्वज को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर खोल कर फहराया जाता है, जिसे ध्वजारोहण कहा जाता है। यह 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने के लिए किया जाता है।
डीएफओ द्वारा दिया गया प्रशस्ति पत्र
जबकि 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोलकर फहराया जाता है, जिसे झंडा फहराना कहा जाता है। बबीता सिंह (महिला अफसर) ने बताया कि आज का दिन मेरे लिए बड़ी खुशी का दिन है अच्छे काम के लिए उनको डीएफओ द्वारा प्रशस्ति प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
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(रिपोर्ट–संजय कुमार, कानपुर देहात)