नई दिल्ली– विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में बड़ा बदलाव करते हुए कांग्रेस ने सीनियर लीडर कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है।
कांग्रेस की ओर से यह सिर्फ बदलाव नहीं है बल्कि चुनाव से पहले सूबे में समीकरण साधने की एक बड़ी कवायद भी है। छिंदवाड़ा से सांसद कमलनाथ ने जिम्मेदारी को लेकर गुरुवार को इकनॉमिक टाइम्स से कहा, ‘मैं इसे एक बड़ी जिम्मेदारी और एक बेहतर अवसर के तौर पर लेता हूं।’ राज्य में इस साल के अंत तक चुनाव होने हैं और उससे पहले शिवराज सरकार से मुकाबले के लिए कांग्रेस ने अरुण यादव को हटाकर कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा है।
भले ही कांग्रेस ने अभी मध्य प्रदेश के लिए अपने सीएम कैंडिडेट का ऐलान नहीं किया है, लेकिन कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से साफ है कि वह ही चुनावी समर में कांग्रेस के सबसे अहम चेहरा होंगे। अब तक इस मसले पर सिंधिया की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई है, लेकिन कमलनाथ को कमान सौंपे जाने को सिंधिया कैंप के लिए झटका माना जा रहा है।
पार्टी नेताओं का कहना है कि 5 वजहों से 71 वर्षीय कमलनाथ को यह जिम्मेदारी दी गई है। पहला, उनका गुटबाजी से परे का नेता होगा। वह गुटों में बंटी स्टेट यूनिट को एक साथ लाकर मिशन को आगे बढ़ सकते हैं। दूसरा, चुनावों में प्रदेश कांग्रेस के लिए संसाधन जुटाने की क्षमता। तीसरा, सत्ता के गलियारों का अनुभव। चौथा, जाति के तौर पर न्यूट्रल फेस। उनके पक्ष में पांचवां और सबसे अहम बिंदु यह है कि उन्हें पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का भी रणनीतिक तौर पर समर्थन हासिल है। यह समीकरण इसलिए बेहद अहम है कि दिग्विजय सिंह को साधने से गुटबाजी कम होगी।