Justice Yashwant Verma: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा का शुक्रवार को उनके पैतृक इलाहाबाद हाईकोर्ट में तबादला कर दिया गया। इसको लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस सप्ताह की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनके तबादले की सिफारिश की थी। उन्होंने इस कदम को जस्टिस वर्मा के घर से कैश बरामदगी के कथित मामले की आंतरिक जांच से अलग बताया, जो होली की रात आग लगने की घटना के बाद सामने आया था।
केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक अन्य जज जस्टिस सी.डी. सिंह का भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में तबादला कर दिया है। कैश बरामदगी विवाद में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा का हाल ही में गठित दिल्ली हाईकोर्ट की प्रशासनिक समितियों में जिक्र नहीं किया गया। 14 मार्च को जज के सरकारी आवास में आग लगने के बाद जले हुए बंडल मिलने की घटना के बाद कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं।
3 जज कर रहे हैं कैश कांड की जांच
सूत्र के अनुसार, जस्टिस यशवंत वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में हो गया है। लेकिन फिलहाल उन्हें न्यायिक क्षेत्र से जुड़े किसी मामले की सुनवाई करने का निर्देश नहीं दिया गया है। इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा नियुक्त तीन जजों की कमेटी कर रही है। जब तक मामले की जांच/पूछताछ चल रही है, तब तक उन्हें न्यायिक क्षेत्र से जुड़ा कोई भी काम न करने का निर्देश दिया गया है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस तबादले को एक अलग फैसला बताया है। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस वर्मा को उनके पैतृक इलाहाबाद हाईकोर्ट में तबादला करने की सिफारिश की गई थी। वे पहले भी कई प्रशासनिक समितियों का हिस्सा रह चुके हैं। हाईकोर्ट की वेबसाइट पर 27 मार्च को प्रकाशित सर्कुलर के अनुसार 26 मार्च से तत्काल प्रभाव से समितियों का पुनर्गठन किया गया है।
एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका खारिज
दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट ने 28 मार्च को ‘घर पर नकदी’ मामले में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। 14 मार्च 2025 को उनके सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी।
Justice Yashwant Verma: जानें पूरा मामला
गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवासीय बंगले में आग लगने से बड़ा खुलासा हुआ था। इस घटना ने न्यायिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया था। न्यायाधीश के घर से बड़ी मात्रा में अधजले नोटों के बंडल बरामद किए गए थे। यह मामला संसद से लेकर सड़क तक चर्चा का विषय बन गया है।
विपक्षी नेताओं ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया है, उनकी मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। इस घटना ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को भी तत्काल कार्रवाई करने पर मजबूर कर दिया। इस मामले में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया।
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