एक तरफ कृषि बिल को लेकर गाजियाबाद-दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलन कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ जालौन के उरई तहसील के डकोर गांव के 175 दलित किसान पट्टे की जमीन पर 12 साल बाद भी कब्जा न मिलने के कारण शासन के खिलाफ धरने पर बैठ गए हैं। यह धरना उरई तहसील के सामने बने गांधी चबूतरे पर किया जा रहा है।
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धरने पर बैठे 175 किसान
धरने पर बैठे डकोर गांव के किसानों का कहना है कि 2008 में मायावती सरकार द्वारा 175 दलित किसानों को सरकारी पट्टा आवंटित किया गया था, जिससे वह खेती कर सकें। लेकिन इस जमीन पर पिछले 12 साल से दबंग लोग कब्जा किए हैं और खेती भी कर रहे हैं कई बार इसकी शिकायत अधिकारियों से की गई लेकिन अधिकारी कोई भी कार्यवाई उन दबंग लोगों के खिलाफ नहीं कर रहे हैं।
इसको लेकर पिछले दिनों कलेक्ट्रेट में भी ज्ञापन दिया था, लेकिन अधिकारियों ने उसे अनसुना कर दिया, इसी बात को लेकर यह धरना गांधी चबूतरे पर दिया जा रहा है। किसानों का कहना है कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं होती है वे लगातार धरना देते रहेंगे।
न्यायालय के आदेशों को ताक पर रखा
किसानों ने कहा कि तहसीलदार उरई ने अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने की नीयत से मिली भगत करते हुए न्यायालय के आदेशों को ताक पर रखते हुए फर्जी तरीके से खतौनी में नाम दर्ज कर दिया।
किसानों का कहना है कि तहसीलदार द्वारा बनाई गयी खतौनियों को निरस्त किया जाये तथा विवाद जमीन की देखरेख शासन और प्रशासन की हो तथा तहसीलदार के ऊपर वैधानिक कार्यवाही की जाये।
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(रिपोर्ट- अनुज कौशिक, जालौन)