‘जाको रखे साईंया मार सके न कोए, तालाब में जिंदा मिली नवजात बच्ची

प्रतापगढ़ — जिले के महेशगंज कोतवाली इलाके में प्राथमिक विद्यालय के पास स्थित तालाब के किनारे नवजात बच्ची मिलने से हड़कंप मच गया।

 

जानकारी मिलते ही विद्यालय के हेड मास्टर मौके पर साथियो संग पहुचे और नवजात बच्ची को तालाब से निकलवा कर निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराने के साथ ही पुलिस को सूचित किया।सूचना पाकर सक्रिय हुई इलाकाई पुलिस ने जिला बाल कल्याण समिति को सूचित कर नवजात को समुचित इलाज को जिला महिला अस्पताल भेजवाया जहां नवजात जिंदगी और मौत की जद्दोजहद से जूझ रही है। 

अब सवाल उठता है आखिर कैसे बढ़ेंगी और पढ़ेंगी बेटियां। जब समाज उन्हें अपनाने की बजाय मौत के मुह में धकेलने पर आमादा है। तमाम सरकारी प्रयासों और दावों के बीच आज इक्कीसवीं सदी में भी बेटियां सुरक्षित नही है । कभी गर्भ में तो कभी जन्म के बाद मार दी जा रही है बेटियां लेकिन शासन प्रशासन इस पर अंकुश लगा पाने में पूरी तरह से फेल नजर आता है।क्या बिटियां होना अभिशाप बन चुका है। ये मामला भी पूरी तरह साफ नजर आ रहा है।

इस नवजात को अपनो ने महज इस लिए मौत के मुह में धकेल दिया कि बेटी है। माँ की ममता दगा दे गई और परिजनों ने इसे इस हाड़कंपाने वाली ठंठ में पानी से भरे तालाब में फेंक दिया लेकिन कहावत है कि ‘जाको रखे साईंया मार सके न कोए बाल न बांका कर सके जो जग बैरी होय’ आज चरितार्थ होती नजर आई। एक तो हाड़कंपाने वाली ठंड़ ऊपर से तालाब का गंदा पानी भी मौत के आगोश में ले जाने में असफल रहा और मशीहा बन कर शिक्षक पहुंच गया। अब देखना होगा कि बच्ची कब पूर्ण रूप से स्वस्थ हो पाती है।

(रिपोर्ट-मनोज त्रिपाठी,प्रतापगढ़)

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