न्यूज़ डेस्क–21वीं सदी में टेक्नोलॉजी का कई तरह से प्रयोग किया जा रहा है। रोजाना नयी – नई तरह की तकनीकें विकसित की जा रही हैं। ऐसे में आज का युवा वर्ग नई तकनीकी को छोड़कर एक बार फिर से पुरानी तकनीकी को अपना रहा है।
दरअसल एक आर्टिकल के मुताबिक़ पश्चिमी देशों में राइटर्स, लैपटॉप की जगह टाइपराइटर को तरजीह देते हैं क्योंकि ऐसा करने से पॉप-अप विंडो की वजह से उनका ध्यान नहीं भटकता। टाइपराइटर के खरीददारों में से करीब 50 फीसदी यंगस्टर्स हैं। नॉन-फिक्शन बातचीत का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पेपरलेस पोस्टकार्ड्स की फाउंडर पोद्दार कहती हैं, ‘टाइपराइटर एक तरह से डिजिटल डीटॉक्स की तरह है। ऐसे समय में जब हम सब फोन्स से एक मिनट के लिए भी अपनी आंखें हटा नहीं पाते हैं, मुझे अपने ओलिवेती टाइपराइटर पर दिल खोलकर लिखना पसंद है।’
पोद्दार की मानें तो वह टाइपराइटर की वजह से बेहतर तरीके से फोकस कर पाती हैं। ‘टाइपराइटर पर लिखने का मतलब है कि आप अपनी गलतियों को डिलीट नहीं कर सकते हैं। ऐसे में कुछ भी टाइप करने से पहले मैं अपने दिमाग में एक विजन मैप तैयार कर लेती हूं और उसके बाद ही लिखने बैठती हूं। ऐसा करने से मुझे अपने लक्ष्य और उद्देश्य के प्रति क्लैरिटी रहती है।’
एक टाइपराइटर विक्रेता के मुताबिक़ नौकरी पाने की इच्छा रखने वाले लोग टाइपराइटर इसलिए खरीदते हैं ताकि वे अपनी टाइपिंग स्पीड को बढ़ा सकें। बहुत से लोग ऐसे हैं जो कंप्यूटर खरीदने में सक्षम नहीं हैं। लिहाजा नौकरी में भर्ती के दौरान कंप्यूटर टाइपिंग टेस्ट के लिए खुद को तैयार करने के मकसद से वे मैन्युअल टाइपराइटर का इस्तेमाल करते हैं।