न्यज डेस्क- भारत-पाकिस्तान आने वाले कुछ महीनों में एक साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास कर सकते हैं। खबर है कि रूस में अगस्त में होने वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास में दोनो ही देश एक साथ हिस्सा ले सकते है।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में पूर्ण कालिक सदस्य बनने के बाद भारत और पाकिस्तान अन्य एससीओ सदस्य देशों के साथ आतंकवाद विरोधी समन्वय के तहत संयुक्त सैन्य अभ्यास कर सकते है। हालांकि, इससे पहले भी संयुक्त राष्ट्र के बैनर तले भारत और पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों ने अपनी सेवाएं एक साथ दी है।
लेकिन, यह पहला मौका होगा जब अन्य शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देश- चीन, कज़ाखिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तज़ाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के साथ भारत और पाकिस्तान की सेना संयुक्त राष्ट्र सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेगी। एससीओ का पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद दोनों ही देश ताशकंद के रिजनल एंटी टेररिज्म स्ट्रर (आरएटीएस) का हिस्सा है, जिसके तहत यह अभ्यास कराया जाता है।
इस सैन्य अभ्यास से पहले सभी के मन में एक ही सवाल है कि भारत और पाकिस्तान आतंकवाद विरोधी कार्रवाई में कैसे एक दूसरे का सहयोग करेंगे। दोनों ही देशों के बीच अविश्वास की बड़ी खाई है, और दोनो ही कई मुद्दों पर एक दूसरे के खिलाफ है। हालांकि, एससीओ के तहत सीमित आतंकवाद विरोधी सहयोग संभव है। लेकिन, दोनों देश द्विपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास की जगह बहुपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास को चुन सकते हैं।
बिसेक सम्मेलन की तरह पीस मिशन-2007 नाम से पहला एससीओ सैन्य अभ्यास साउदर्न उरल में किया गया था। आतंकवाद विरोधी अभियान को केन्द्रित कर नौ दिनों तक चले इस सैन्य अभ्यास में सभी एससीओ देशों के सदस्यों की सेना के जवानों ने हिस्सा लिया था। इस सैन्य अभ्यास में 6,500 सैनिक शामिल थे। जिनमें सबसे ज्यादा रूस से दो हजार सैनिक, चीन से 1700 और कज़ाखिस्तान और ताजिकिस्तान से सेना की छोटी टुकड़ी, किर्गिस्तान के स्पेशल पुलिस प्लैटून और उज्बेक की 20 सदस्य सैन्य अफसरों की टीम शामिल थी। इसमें चीन और रूस से करीब 500 कम्बैट वीकल्स, 80 लड़ाकू विमान शामिल थे।