मेरठ — बेटियों की सुरक्षा के लिए सरकार ने कई अभियान चला रखे हैं, चाहे वो कवच अभियानों या फिर बेटी सुरक्षा अभियान। लेकिन बेटों की सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं है, जबकि देश मे बाल यौन शोषण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
इसी को ध्यान में रखते हुए एक छात्रा ने बाल यौन शोषण के खिलाफ लोगों को जागरूक करने की ठान ली। और फिर क्या था, शुभांगी ने सोशल मीडिया पर कुछ युवाओं से सम्पर्क किया और फिर उनके साथ मिलकर एक संगठन बनाया जिसका नाम तितली रखा। यह संगठन स्कूलों में जाकर बच्चों के साथ-साथ उनके माता पिता को भी यौन शोषण के खिलाफ जागरूक करता है।
बालिकाओं से ज्यादा बालकों के मामले अधिक…
संगठन की संचालिका शुभांगी का कहना है कि उसने बाल यौन शोषण पर रिसर्च किया तो बालिकाओं से ज्यादा बालकों के यौन शोषण के मामले अधिक सामने आए। जिसके बाद उन्होंने यह पता लगाने की कोशिश की कि आखिर इन सब के पीछे की वजह क्या है। जो वजह निकल आई वह भी चौकाने वाली थी , वह वजह है आज भी पैरंट्स और बच्चों के बीच में शर्म की दीवार।
यदि जब बच्चे के साथ कुछ गलत होता है तो वह शर्म के मारे अपने परिवार वालों को इन्हीं बता पाते और जो बता भी देते हो तो उनके परिवार के लोग लोक लाज के डर के कारण उसको दबा देते हैं । लेकिन तितली अब शर्म की दीवार को खत्म करने के लिए निकली है। पैरेंट्स और बच्चों में दोस्ती का रिश्ता कायम करवाने के लिए निकली है।
ऐसे हुआ सर्वे…
बता दें कि इस संगठन ने इस जागरूकता अभियान की शुरुआत सबसे पहले मेरठ के ही K S स्कूल से की है। यहां पर बच्चों की वर्कशॉप की, नुक्कड़ नाटक किया और स्कूल के अंदर ही एक कमरे में बकायदा पूरे समाज का एक ढाचा तैयार कर एक्सिबिशन लगाई गई जिसमें बच्चे के साथ गलत होने पर उनके परिवार का और समाज का किया रिएक्शन होता है यह दर्शाया गया। उसके अलावा एक केबिन में शीशा लगा कर लिखा गया कि अपने अंदर झांक को और अगर आपके साथ भी कभी कुछ गलत हुआ हो तो दीवार पर निशान लगाकर बता दीजिए और नहीं हुआ है तो उसके लिए भी दीवार पर निशान लगा दीजिए।
केबिन में बंद कर किया टेस्ट…
इस केबिन को बंद किया हुआ था जिससे किसी भी व्यक्ति या बच्चे की कोई आईडेंटिटी डिस्क्लोज ना हो। जब हमने देखा कि जो निशान वहां बने थे उनमें बाल यौन शोषण का शिकार होने वाले लोगों की मात्रा अधिक थी। तितली संगठन ने वर्कशॉप और नुक्कड़ नाटक के जरिए बच्चों को बेड टच और गुड टच के बारे में बताते हुए लोगों के भाव को भी पहचानने की सीख दी साथ ही उनके परिवार के लोगों को भी नुक्कड़ नाटक के जरिए जागरुक किया गया।
तितली की संचालिका शुभांगी ने हम से बातचीत करते हुए कहा कि जब उन्होंने तीन शहरों में रिसर्च किया तो उन्होंने देखा कि यौन शोषण के मामलों में सबसे ज्यादा संख्या बालकों की है क्योंकि जब बच्चे अपने परिवार वालों से कोई बात बताते हैं तो उनके परिवार के लोग बोलते हैं कि तुम लड़के हो और लड़के रोते नहीं , बस इतना कहकर मामले को दबा देते हैं, जिससे वह छोटी गलती एक बड़े अपराध को जन्म देती है। समाज की कुरीतियों को खत्म करने के लिए तितली पूरे देश में लोगों को बाल यौन शोषण के खिलाफ जागरूक करेगी।
इस वर्कशॉप में मौजूद बच्चों का कहना है कि इस वर्कशॉप से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला है लेकिन वर्कशॉप में मौजूद लड़को का एक सवाल भी था कि जिस तरह सरकार लड़कियों के लिए कई जागरूक अभियान चला रही है वैसा लड़कों के लिए क्यों नहीं।
(रिपोर्ट-प्रदीप शर्मा,मेरठ)