उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर प्रवासियों की वापसी पर ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण बढ़ने की आशंका जताई गई थी। हालिया सर्वे से यह चिंता दूर हुई है लेकिन शहरों में नए मामले सामने आने से खतरा अब ज्यादा बढ़ा है।
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दरअसल यूपी सरकार के अधिकारियों का कहना है कि अब कोविड-19 की रोकथाम शहरी निवासियों पर निर्भर करती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यूपी में कोरोना का प्रसार चार चरणों में विभाजित किया जा सकता है- विदेश से आने वाले यात्री, तबलीगी जमाती, हेल्थ वर्कर और अस्पताल और अब प्रवासी। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, कोरोना संक्रमण के शहरों में दोबारा पांव फैलाना पांचवे चरण की शुरुआत है।
स्वास्थ्य व परिवार कल्याण के प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद ने कहा, ‘इस समय कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए शहरों में रह रहे लोगों को अधिक योगदान देना होगा। यह इसलिए क्योंकि प्रवासी मजदूरों में संक्रमण के केस धीरे-धीरे कम हो रहा है और कुछ ही दिनों में वे पूरी तरह रिकवर हो जाएंगे। अब शहरी क्षेत्रों से कोरोना के नए मामले ज्यादा आ रहे हैं। खासकर पश्चिम यूपी जैसे मेरठ और गौतमबुद्ध नगर।
सर्वे में 18 जिलों का हुआ था चयन
सर्वे के बारे में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि अधिक संख्या में प्रवासियों की वापसी वाले 18 जिलों का चयन किया गया था। हर जिले से ऐसे चार-चार गांव चुने गए जिनमें 50 या अधिक प्रवासी आए थे और उन्हें गांव पहुंचे 15 दिन बीत चुके थे। औसतन 20 से 25 सैंपल हर गांव से उन ग्रामीणों के लिए गए जो प्रवासी नहीं हैं। ऐसे में मूल निवासियों का एक भी सैंपल पॉजिटिव नहीं आया।
इस जिले में यह सर्वे हुआ उनमें झांसी, कौशांबी, प्रयागराज, आजमगढ़, बहराइच, बलरामपुर, बांदा, बस्ती, चित्रकूट, जालौन, लखीमपुर-खीरी, ललितपुर, महराजगंज, मीरजापुर, संतकबीर नगर, शाहजहांपुर, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती शामिल है।
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