फर्रुखाबाद– जिले में कई पुरानी इमारतों को पुरातत्व विभाग ने अपने सरक्षण में ले लिया है लेकिन आज भी कई ऐसी इमारते को अपनी सुंदरता की राह ताक रही है । गंगा घाट के किनारे वर्षो पहले शाह जी ने विदेशी व्यापारियों के लिये ठहरने के लिए घाट का निर्माण कराया था।
यह निर्माण दाल चीनी से से इमारत बनाई थी थी।यह इमारत वर्तमान में अपनी पिछली सुंदरता की खोज में परेशान दिखाई दे रही है।इसकी नक्कासी के आगे सभी का मुंह खुला रहे जाता है।इस इमारत के बहुत से रहस्य है जो निम्न बार है। इस इमारत में का सनातन धर्म मे बहुत अधिक महत्व है क्योंकि इस इमारत का प्रत्येक भाग अपनी अहमियत रखता है।इस घाट से अग्रेजो के जमाने मे यही से व्यापारी अपना व्यापार किया जाता था।लेकिन इस घाट तक गंगा बहुत दूर हो गई है।
इमारत से लेकर घाट का निर्माण किस प्रकार का है-इस इमारत की नक्कासी ताजमहल की तरह की गई है।घाट पर लगभग पांच से छः गुब्बत बनाये गए हुए थे।हर गुब्बत में अलग अलग प्रकार से चित्रकारी की गई थी। वह कावले तारीफ है।लेकिन इस इमारत की सुंदरता को बनाये रखने के लिए कोई इंतजाम नही किये जा रहे है।जो पत्थर लाल किला में लगा वही पत्थर इसकी हर सीढ़ी में लाल पत्थर लगा हुआ है जो आज कही नही मिल रहा है।उसमें भी गुलाब के फूल उकेरे गए हुए है।
जब अग्रेजो का शासन में देश के क्रांतिकारी अपनी जंग को लेकर पूरे देश के क्रांतिकारियों को अंग्रेजी पुलिस खोज कर रही थी उस समय फर्रुखाबाद में जन्मे पण्डित आजाद जिनका निवास साहब गंज चौराहा पर रहते थे।उन्होंने देश के महान क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद,विस्मिल जैसे लोगो ने इस इमारत में अंग्रेजो की आंख में धूल झोंक कर यही पर राते गुजारी है।जब वह लोग यहां पर ठहरते थे तो किसी को कानो कान खबर नही होती थी। देश के प्रथम प्रधान मंत्री भी यहां पर रात में ठहरे थे। उसके भी यहां पर लोगो की जुबानी बताया गया है। इस इमारत को लेकर आम जनता से बातचीत की गई तो सभी ने यही कहा कि जिन लोगो ने इस प्राचीन भवन में भूसा भर रखा है किसी ने उपले भर रखे है।उसको कब्जे से मुक्त कराकर उसका सुंदरीकरण करन कराया जाये।जो वर्षो पहले जो उसका रूप था वही बनाया जाये।
(रिपोर्ट- दिलीप कटियार, फर्रुखाबाद)