न्यूज डेस्क — उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने की बात कह रहे हो पर उनके अधिकारी व नेता है की सुधरने का नाम नहीं ले रहे है। इसी क्रम में एक बेहद चौकाने वाला मामला सामने आया है जहां समाज कल्याण निदेशालय में 10 करोड़ रुपये से अधिक का छात्रवृत्ति घोटाला हुआ है।
अधिकारियों ने लाभ के चक्कर में प्रदेश से बाहर के संस्थानों को मनमाने ढंग से भुगतान कर दिया। वहीं एसआईटी ने रिकॉर्ड कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है। इस फर्जीवाड़े में कई बड़े अफसरों के शामिल होने से खलबली मची हुई है।
बता दें कि कुछ समय पहले शासन में शिकायत की गई थी कि रुड़की (उत्तराखंड) के एक इंस्टीट्यूट को वर्ष 2010-11 में पीजीडीएम कोर्स के लिए मानक से ज्यादा भुगतान किया गया। इस कोर्स के लिए प्रति छात्र 91,600 रुपये फीस निर्धारित की गई थी। मगर भुगतान 2.30 लाख रुपये प्रति छात्र की दर से कर दिया गया। शुरुआती जांच में पाया गया कि इस इंस्टीट्यूट को 2.87 करोड़ रुपये ज्यादा भुगतान किया गया। तत्काल जांच पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) को सौंपी गई।
एसआईटी की अभी तक की जांच में और भी बड़ा खेल सामने आया है। सिर्फ एक ही इंस्टीट्यूट को ज्यादा भुगतान नहीं किया, बल्कि प्रदेश से बाहर के करीब 20 संस्थानों को नियम विरुद्ध तरीके से 2.30 लाख रुपये प्रति छात्र की दर से भुगतान किया गया। अभी तक की गणना में 10 करोड़ रुपये से ज्यादा का घपला सामने आ चुका है।
गौरतलब है कि शासन ने सिर्फ रुड़की के इंस्टीट्यूट की जांच के आदेश दिए थे, पर मामले की गंभीरता को देखते हुए एसआईटी ने प्रदेश से बाहर के सभी संस्थानों को किए गए भुगतान को जांच के दायरे में शामिल कर लिया है।समाज कल्याण निदेशालय के अधिकारियों ने एसआईटी को पूरा रिकॉर्ड देने में आनाकानी की तो उसके अधिकारी पूरा मामला शासन की जानकारी में लाए। इसके बाद एसआईटी की उच्चस्तरीय टीम ने निदेशालय जाकर पूरा रिकॉर्ड अपने कब्जे में ले लिया।
वहीं विभागीय सूत्रों की मानें तो इस घोटाले में निदेशालय के कई अफसरों का फंसना तय माना जा रहा है। इस भ्रष्टाचारी खेल में एक-दो अफसर तो रिटायर भी हो चुके हैं।अब देखना यह कि इस जांच की आंच में कौन-कौन पीसता है।