प्रतापगढ़ — उत्तर प्रदेश की राजनीति में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का नाम चलता है. खासकर राजधानी लखनऊ के आस-पास के जिलों और पूर्वांचल में सभी उनके नाम से खूब वाकिफ हैं.
लोकसभा चुनाव के कुछ समय पहले राजा भैया ने अपनी पार्टी इस उद्देश्य से बनाई थी कि वो अपनी राजनीतिक ताकत का अंदाजा दूसरी पार्टियों को लगवा सकेंगे. लेकिन लोकसभा चुनावों के नतीजे बता रहे हैं कि उनकी पार्टी के दोनों उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है. राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक ने प्रतापगढ़ सीट पर अक्षय प्रताप सिंह को खड़ा किया था और बगल की कौशांबी सीट पर शैलेंद्र कुमार को. कौशांबी में शैलेंद्र कुमार थोड़ी-बहुत फाइट भी दे पाए लेकिन अक्षय प्रताप तो बेहद कम वोट हासिल कर सके.
दरअसल प्रतापगढ़ सीट पर चुनाव लड़ रहे राजा भैया के रिश्तेदार अक्षय प्रताप उर्फ गोपाल जी को केवल 46963 वोट हासिल हुए जो कुल 914665 वोट का 5.13 फीसदी ही है. अक्षय प्रताप से ज्यादा वोट कांग्रेस की उम्मीदवार रानी रत्ना सिंह को मिले, जो इलाके में राजा भैया की राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी मानी जाती हैं.
हालांकि रत्ना सिंह भी अपनी जमानत नहीं बचा सकीं. उन्हें 76686 वोट मिले, जो कुल वोटों का 8.43 प्रतिशत ही हैं. प्रतापगढ़ सीट पर जीत बीजेपी के संगम लाल गुप्ता को मिली है, जिन्हें 436291 वोट मिले. वहीं दूसरे नंबर गठबंधन प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे अशोक त्रिपाठी को 318539 वोट मिले.यही हाल राजा भैया की पार्टी ने दूसरा उम्मीदवार कौशांबी शैलेंद्र कुमार का रहा जिन्होंने अपनी जमानत भी नहीं बचा सके.