न्यूज डेस्क– दिवाली की स्वाईगत की तैयारी हर जगह जोर-शोर से चल रही है। बाजार सज गए हैं तो लोगों ने भी शॉपिंग शुरू कर दी है। रोशनी और आतिशबाजी के इस त्योएहार को देशभर में क्रेज है। लेकिन यहां पर इस पर्व को लेकर कुछ और दिलचस्प् बातों को जानना भी बेहद जरूरी है।
आपको बता दें कि दिवाली भारत के अलावा हमारे सभी पड़ोसी देशों और साथ ही साथ पश्चिमी देशों में भी बेहद हर्षोल्लारस के साथ मनाया जाता रहा है। दरअसल, भारत से बाहर गए लोगों के लिए अपनी जमीन से जुड़े रहने का यह एक नायाब तरीका भी है।
ऐसा भी नहीं है कि इसमें सिर्फ विदेश में बसे भारतीय हिंदू ही इसमें शामिल होते हैं, बल्कि दूसरे धर्म के लोग भी इसमें शामिल होते हैं। आज हम आपको यहां ऐसी ही जगहों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। दिवाली को लेकर एक खास बात यह भी है कि इसको कुछ जगहों पर दूसरे नाम के साथ मनाया जाता है।
नेपाल, मॉरिशस और मलेशिया में दिवाली
पाल और मॉरिशस में दिवाली भारत जैसी मनाई जाती है, लेकिन वहां पर नई-नवेली दुल्हन दीपक जलाती हैं। वहीं, मलेशिया में भी दिवाली के दिन छुट्टी होती है, लोग दीपक जलाकर और रंगोली बनाकर माता लक्ष्मी के आगमन की खुशी मनाते हैं।
श्रीलंका में दिवाली
रावण के वध के बाद विभीषण लंका के राजा बने। उन्होंने बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में दीपोत्सव का आदेश दिया था। जिसके बाद से ही श्रीलंका में भी लोग अमावस्या के दिन दीपक जलाते हैं।
म्यांमार में थैडिंगयुट फेस्टिवल
म्यांमार दिवाली को लाइटिंग फेस्टिवल ऑफ म्यांमार के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों के स्वागत में घरों को लाइट्स से रोशन करते हैं।
ब्रिटेन
भारत के बाहर दिवाली का सबसे बड़ा सेलिब्रेशन अगर कहीं होता है तो वह है ब्रिटेन के जंगलों से घिरे खूबसूरत शहर लेस्टर में। वहां रहने वाला हिंदू , जैन और सिख समुदाय तो इस पर्व को धूमधाम से मनाता ही है, साथ में दूसरे धर्म के लोग भी इसे अपने त्योहार के रूप में मनाते हैं। लोग पटाखों व मिठाईयों के साथ सेलिब्रेट करत है।
थाइलैंड
थाइलैंड में दिवाली लाम क्रियोंघ के नाम से मनाई जाती है। केले की पत्तियों से बने दीपक और धूप को रात में जलाने के साथ नदी में बहा दिया जाता है।
स्कॉदटलैंड
यहां इस त्योहार को अप हेली कहा जाता है। इस त्योेहार में लोग प्राचीन समुद्री योद्धाओं जैसी ड्रेस पहने हाथ में मशाल लिए जुलूस निकालते हैं। पूरा शहर रोशनी से घिरा रहता है।
जापान
हर साल जनवरी माह में शुरू होने वाला ओनियो फेयर फेस्टिवल यहां का सबसे प्राचीन त्यौहार है। यहां फुकुओका में दिवाली जैसा प्रकाशमयी त्योाहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान छह मशाल जलाई जाती हैं जो कि आपदा को खत्मे करने के प्रतीक के रूप में होती है। इसमें आग की बत्ती को मंदिर से निकाल कर दूसरे जगह तक ले जाया जाता है। जापानी खास तरह के सफेद कपड़े पहनकर टॉर्च को घुमाते हैं। आग से हैरतअंगेज करतब दिखाना इस फेस्टिवल को शुभ बनाता है।
फ्लोरिडा
फ्लोरिडा में त्योहार ‘सैमहेन’ फेस्टिवल के नाम से जाना जाता है। भूतों के सम्मान में आयोजित इस त्योहार के दौरान बोन फायर जलाई जाती है। मनोरंजन और अलग-अलग थीम्स पर आयोजित होने के कारण बाहरी लोग भी यहां पहुंचकर हैरतअंगेज कारनामों का जमकर लुत्फ उठाते हैं।
कनाडा
कनाडा के ‘न्यूफाउंड लैंड’ में 5 नवंबर को दिवाली की तरह एक रात आती है। यहां आतिशबाजी की खुशी के पीछे बताया जाता है कि अंग्रेज एवं आयरिश लोग अच्छी जिंदगी की तलाश में इधर आए थे और वही आज कनाडा कहलाता है।
इंग्लैंड
यह पर्व 1605 से मनाया जा रहा है जो कि ब्रिटेन में अलग ही मायना रखता है। आधी रात आते ही ऑटरी सेंट मैरी शहर रोशनी से जगमगा जाता है। इस फायर फेस्टिवल को हर साल 5 नवंबर को मनाया जाता है। डेवन के दौरान लोग सत्तरह फ्लैमिंग बैरल लेकर रोड पर मार्च करते हैं। झर्राटेदार बैरल और पटाखे हर उम्र के लोगों के हाथ में देखे जाते हैं, जो अंत में शहर के बीचों-बीच एकत्रित होकर बोनफायर भी जलाते हैं।
दक्षिण कोरिया
यहां इसे जेजू फायर फेस्टिवल के नाम से जाना जाता है। बेहतर स्वास्थ्य और अच्छी पैदावार के लिए यह त्योहार पिछले 20 वर्षों से मनाया जा रहा है।
ईरान
ईरान में अंधकार और सर्दी पर जीत तथा अग्नि के सम्मान में जनवरी के अंतिम सप्ताह में फायर फेस्टिवल सादेह मनाया जाता है। करीब 5 दशक से इस फेस्टिवल के मनाए जाने की परंपरा है।