सीतापुर — बिसवां तहसील क्षेत्र में कच्ची शराब बनाने का गोरखधंधा कुटीर उद्योग के रुप में स्थापित हो चुका है। ग्रामीण आंचलों में दर्जनों गांवों में कच्ची शराब बनाने का कार्य दिन प्रतिदिन रफ्तार पकड़ता जा रहा है। लेकिन आबकारी विभाग इस गोरखधंधे को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है।
बता दें नगर से सटे हुलासपुरवां, पुरैनी आदि सहित मानपुर क्षेत्र के गोवर्धनपुर, कटिया, बन्नी खरैला, हथिया गाजीपुर, सधुवा, सेउढ़ा, बरछता, लक्षिमनपुर, हैबतपुर, त्योला, कामापुर, गुरेरा के इसबापुर का पुरवां इन गांवों में सैकड़ो लीटर लहन प्रतिदिन तैयार कर प्लास्टिक पैकटों एवं बोतलों में भरकर बेची जाती है। यही नहीं इन गांवों में बनने वाली शराब दूरदराज के क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर पहुंचायी जा रही है।
इतना ही नहीं इन क्षेत्रों से चार कदम आगे थाना रामपुर कलां क्षेत्र के गांव चहारपुर, मदारपुर, ढीकोली, समरपुरवां, रामपुर खुर्द, मझिगवां, चपरुवा, मधवापुर, रमपुरवां, सरसा आदि गावों में बनने वाली कच्ची शराब क्षेत्र में लगने वाली साप्ताहिक बाजारों में खुले आम बेची जाती है।
जिसमें प्रमुख रुप से साप्ताहिक बाजार बम्भौर, मलेथू, चमरहियां, पलिया, मसेनामऊ आदि बाजारों में प्लास्टिक पैकटों एवं बोतलों में भरकर खुलेआम दैनिक उपभोग की वस्तुओं की भांति बेची जा रही है। सूत्रों की माने तो यह गोरखधंधा कही न कही महकमें की उदासीनता परिलक्षित करता है। समाज के प्रबुद्धजनों की माने तो युवा पीढ़ी नशे की लत के चलते बरबाद हो रही है। फिलहाल तमाम कयावदों के बावजूद भी इस गोरखधंधे में लगाम लगती हुई नहीं प्रतीत हो रही है।
(रिपोर्ट-सुमित बाजपेयी,सीतापुर)