कानपुर– कानपुर देहात के खरका घाट पर अवैध खनन नदी पर कहर बनकर टूट रहा है। यहां नियमो को ताख पर रखकर खनन का खेल लम्बे अरसे से खेला जाता रहा है क्योकि खनन का पट्टा जब खनिज विभाग द्वारा दिया जाता है तो खनन की जा रही बालू , मिट्टी व मौरंग का सरकारी टैक्स के रूप में रायल्टी पट्टा निर्धारित होने के पूर्व ही जमा करा ली जाती है।
नियमो के मुताबिक़ जितने वजन की रायल्टी एडवांस में जमा की जाती है उतना ही खनन पट्टा धारक को करना होता है खदान से निकलने वाली गाडियों का नम्बर , तारीख व् समय उस रायल्टी बुक की रसीद पर अंकित करना जरुरी है लेकिन इन खनन माफियाओं और शियासत्दानो की जुगलबंदी के कारण यहाँ खनन माफिया ट्रको को खदान से निकलते समय यहाँ रायल्टी में गाडी का नम्बर भी डालते है और तारीख भी; लेकिन रायल्टी स्लिप पर टाइम नहीं डाला जाता। जिसके सहारे दिन भर में नियमो के मुताबिक़ एक रायल्टी स्लिप पर जहा एक ही ट्रक निकलने चाहिए वहा एक स्लिप पर सैकड़ो की तादात में ट्रको को निकाला जाता है। जिससे राज्य सरकार के सरकारी कोष को बिना टैक्स चुकाए ही खनन माफियाओं की लाखो रुपयों की आमदनी रोजाना हो रही है। जिसका बराबर हिस्सा शियासतदानो को भी पहुच रहा है।
लम्बे समय से सूबे की सत्ता में दखल रखने वाले खनन माफियाओं का राज रहा है। क्योकि सत्ता का दबाव हमेसा रहा है लिहाजा जिसकी सरकार सूबे में हो उसे ही इस घाट का पट्टा एलोट किया जाता है। वर्तमान में इस खदान का पट्टा अजय कटियार नाम के एक सख्स के पास है ;जिसमे कागजो पर तो नहीं लेकिन इस खदान में काम कर रहे लोग यहाँ की भोगनीपुर विधानसभा से भाजपा विधायक विनोद कटियार का भी शेयर होने की बात दबी जुबान से करते है।
खरका घाट की यह खदान लगभग 15 किलोमीटर बीहड़ो को पार करने के बाद है। लिहाजा यहाँ आने जाने के लिए न तो कोई साधन है और न ही रास्ते लिहाजा जिले की यही खदान ऐसी है ;जहा किसी भी अधिकारी का आना जाना न के बराबर है। इसीलिए यहाँ खनन माफियाओं द्वारा पूरी तरह से हर वो काम किया जा रहा है जो खनन नियमावली के बिलकुल विपरीत है।
रिपोर्ट-संजय कुमार, कानपुर देहात