न्यूज डेस्क– लखनऊ में पुलिस पर एपल के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की गोली मारकर हत्या करने का आरोप लगा है। पुलिस ने इस मामले में दो सिपाही संदीप और प्रशांत चौधरी को अरेस्ट किया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में विवेक के सिर में गोली लगने की पुष्टि हुई।
हालांकि, इस मामले में आरोपी सिपाही प्रशांत ने बताया कि उसने आत्मरक्षा में गोली चलाई। दरअसल, पुलिस विवेक की कार को चेकिंग के लिए रोकना चाहती थी। उसके साथ सहकर्मी सना खान भी थी। दोनों पुलिस से बचने के लिए साइड से निकलने लगे, जिसके बाद आगे की घटना हुई। चेकिंग के दौरान पुलिस से डरने की जरूरत नहीं है। इसके लिए आम आदमी को कई राइट्स मिलते हैं।
ये हैं राइट्स–
1. रुटीन चेकिंग के दौरान पुलिस किसी को गोली नहीं मार सकती। किसी स्थिति में पुलिस को ऐसी शंका है कि सामने वाला अपराधी है या फिर वो किसी घटना को अंजाम दे सकता है तब उसे ऐसी जगह गोली मारी जाती है जिससे उसकी जान नहीं जाए। यदि सामने वाले को बिना गलती के गोली मार दी जाती है तब IPC की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज होगा। यदि पुलिस द्वारा हवाई फायर किया गया है या फिर गलती से सामने वाले की मौत हो गई, तब IPC की धारा 304 के तहत मुकदमा दर्ज होगा। इसमें इंसान को मारने की मंशा नहीं होती, लेकिन फिर भी उसकी मौत हो जाए।
2. यदि लड़का और लड़की दोनों वयस्क हैं, तब वे चेकिंग के दौरान वे अपनी आइडेंटिटी बताकर वहां से जा सकते हैं। पुलिस उन्हें रोक नहीं सकती। यदि लड़का-लड़की बालिग हैं तब पुलिस उसने घरवालों का फोन नंबर मांगती है, तो उन्हें नंबर देना जरूरी नहीं है। पुलिस उन पर फोन नंबर के देने का दबाव नहीं डाल सकती, भले ही रात कोई भी समय हो। वयस्क लड़का-लड़की मर्जी से साथ घूम सकते हैं। यदि लड़की नाबालिग है या उसकी उम्र को लेकर को शंका है, तो इस स्थिति में पुलिस उसके घरवालों से बात कर सकती है।
3. मौके पर आप कोई कार्रवाई नहीं कर सकते, लेकिन बाद में आप उच्च अधिकारियों को शिकायत कर सकते हैं कि चेकिंग के नाम पर मानसिक या फिजिकली तौर पर हरासमेंट किया गया। कोर्ट में इसका कोई मामला नहीं बनाता।
4. पुलिस चेकिंग के दौरान आपको हमेशा रुकना चाहिए। यदि ड्राइविंग लाइसेंस, गाड़ी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस जैसे डॉक्यूमेंट नहीं हैं तब पुलिस को सिर्फ चालान काटने का अधिकार है। वैसे, इन सभी डॉक्यूमेंट्स को अब सरकार द्वारा लॉन्च किए गए डिजी लॉकर ऐप पर भी चेक करा सकते हैं।
5.यदि कोई लड़का और लड़की साथ हैं और उन पर किसी तरह की शंका है, तब दोनों की चेकिंग की जा सकती है। हालांकि, महिला की चेंकिंग किसी महिला पुलिस के द्वारा ही की जाएगी। किसी स्थिति में उन्हें निकटतम थाने ले जाकर पूछताछ भी कर सकते हैं।
6. गाड़ियों की रुटीन चेकिंग के लिए नाकाबंदी की जाती है। यदि कोई गाड़ी यदि भागती है तब वायरलेस की मदद से आगे के नाके पर उसका नंबर दे दिया जाता है। यदि वाहन चालक बच जाता है तब उसके नंबर के आधार पर घर से पकड़ सकते हैं।
यदि पुलिस की गलती से किसी की जान चली जाए तब अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय में रिट (writ) याचिका दाखिल कर सकते हैं। इसमें मरने वाले के परिवार को उसके स्टेटस के हिसाब से शासन हर्जाना देगा। जैसे, यदि कोई 35 साल का व्यक्ति जिसकी शादी हो चुकी है और वो हर महीने 10 हजार रुपए कमाता है, तब उसे 15 लाख रुपए तक का हर्जाना मिल सकता है।