लखनऊ — उत्तर प्रदेश के सीएम योगी ने आज विधानसभा में विपक्षी पार्टियों पर जमकर निशाना साधा. अपने जोरदार भाषण में सीएम ने कहा कि राज्य को बांटने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी और अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करेगा तो सरकार उसका मुंहतोड़ जवाब देगी.
समाजवादी पार्टी का नाम लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, वे अपनी तोड़ने की नीति अपनी पार्टी तक ही सीमित रखें तो बेहतर होगा. जो भी भारत को तोड़ने का काम करेगा, हम उसे तोड़ देंगे. प्रदेश और देश को तोड़ने का प्रयास किया जाएगा तो दंडकारी नीति से निपटा जाएगा.मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र लोकलाज से चलता है, न कि जबरदस्ती से. राज्यपाल पर कागज के गोले फेंकना शोभनीय नहीं है.
इस दौरान विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया. हंगामे के बाद भी योगी ने विपक्ष पर लगातार हमला जारी रखा. उन्होंने कहा कि बरसाना होली मनाने गया था. वहां सवाल पूछा गया कि ईद कहां मनाएंगे. मुख्यमंत्री ने कहा, “मैंने तब भी कहा था और आज भी गर्व के साथ कहता हूं कि मैं हिंदू हूं. मैं ईद नहीं मनाता. लेकिन, यदि कोई अपना त्योहार मनाएगा तो सरकार उसमें सहयोग करेगी और साथ ही सुरक्षा भी देगी.इसके अलावा मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर चुटकी लेते हुए कहा, “हमें हिंदू होने पर गर्व है. लेकिन हम वैसे हिंदू नहीं हैं जो घर में जनेऊ धारण करें और बाहर निकलकर टोपी पहन लें. ऐसा वो लोग करते हैं, जिनके मन में पाप होता है.
विधानसभा में अपने भाषण के दौरान योगी आदित्यनाथ विपक्ष पर हमलावर दिखाई दिए. उन्होंने कहा कि इस सरकार ने 11 महीने के काम में ही दिखा दिया है कि विकास कैसे हो सकता है. हमने राज्य में विकास के लायक माहौल बनाया है. इसके लिए सरकार निरंतर काम कर रही है.
नंदी के बयान पर हंगामा
गौरतलब है कि कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी के विवादित बयान को लेकर विधान परिषद की कार्यवाही हंगामे की वजह से कई बार स्थगित करनी पड़ी. बता दें कि मंत्री नंदी द्वारा मुलायम सिंह यादव को रावण और मायावती को शूर्पणखा कहे जाने से गुस्साए सपा और बसपा नेताओं ने विधान परिषद में हंगामा किया. इसके चलते सदन की कार्यवाही 20 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई.
वही सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सपा और बसपा नेता, नारेबाजी कर नंद गोपाल को बर्खास्त करने की मांग करने लगे. दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने नंदी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करने की मांग की. नंदी की बर्खास्तगी पर अड़े विपक्षी नेता आसन के समीप आकर हंगामा करने लगे तो सभापति ने उन्हें अपनी सीट पर बैठने के लिए कहा लेकिन जब वे नहीं माने तो कार्यवाही 20 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई. बाद में हंगामा बंद न होने की वजह से विधान परिषद की कार्यवाही 12 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई.