नई दिल्ली–कहा जाता है देश में चार कोस पर वाणी अर्थात भाषा बदल जाती है। हिंदी देश की एकता का मंत्र है। गुजरात में जन्मे आर्य समाज के प्रवर्तक महर्षि दयानंद ने अपनी रचना सत्यार्थ प्रकाश को हिंदी में लिखा और इस बात का उद्घोष किया कि आजादी की लड़ाई में भी हिंदी की भूमिका जबरदस्त रही है।
आजादी के समय से ही हिंदी की शक्ति को समझा गया। आजादी के समय महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, रविंद्रनाथ टैगोर, बाल गंगाधर तिलक, चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य और लाला लाजपत राय जैसे महापुरुषों ने मुख्य भाषा हिंदी न होने के बावजूद देश में जन जागरण लाने के लिए हिंदी का ही प्रयोग उचित समझा। 21वीं सदी में हिंदी ने एक नई ऊंचाई को छुआ और नए-नए आयाम गढ़े।
विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से हिंदी एक है। हिंदी केवल अंग्रेजी से ही नहीं चीन की मंडारिन से भी आगे है। चीन की मंडारिन भाषा समूचे चीन में नहीं बोली जाती, जो भाषा बीजिंग में बोली जाती है, वह शंघाई में बोली जाने वाली भाषा से अलग है। चीन में स्थान विशेष की भाषा अलग-अलग है। संख्या के लिहाज से देखा जाए तो दुनियाभर में जितने लोग अंग्रेजी बोलते हैं, उससे कहीं ज्यादा करीब 70 करोड़ लोग अकेले भारत में हिंदी बोलते हैं। पूरा पाकिस्तान हिंदी बोलता है। बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, तिब्बत, म्यांमार, अफगानिस्तान में भी हजारों लोग हिंदी बोलते और समझते हैं। यही नहीं, फिजी, गुयाना, सुरिनाम, त्रिनिदाद जैसे देश तो हिंदी भाषियों के ही बसाए हुए हैं। एक तरह से देखें तो हिंदी समाज की जनसंख्या लगभग एक अरब का आंकड़ा छूती है।
हिंदी की देवनागरी लिपि दुनिया की सर्वश्रेष्ठ लिपि मानी जाती है। माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स भ्ाी हिंदी के कायल रह चुके हैं। गेट्स ने एक बार अपने बयान में कहा था कि जब बोलकर लिखने की तकनीक उन्नत हो जाएगी, तब हिन्दी अपनी लिपि की श्रेष्ठता के कारण सर्वाधिक सफल होगी। यह बात आज चरितार्थ होते देखी जा सकती है।