हरदोई — योगी सरकार शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए भले ही कानवेंट स्कूलों की तर्ज पर प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा देने की बात करती हो। लेकिन हरदोई में अधिकारियों की लापरवाही बच्चों और अध्यापकों पर भारी पड़ सकती है। जर्जर हो चुके स्कूल में पठन पाठन का कार्य विद्यालय के एक कमरे में होता है।
जहां कक्षा 1 से लेकर 5 तक बालक बालिका शिक्षा ग्रहण करते हैं ।ऐसे में जर्जर इमारत के नीचे जान जोखिम में डालकर जहां अध्यापिकाएं बच्चों को पढ़ाती हैं तो बच्चों की जान को भी खतरा बना हुआ है। ऐसा नहीं कि बारे में बेसिक शिक्षा विभाग को कुछ पता नहीं खुद बेसिक शिक्षा विभाग इस विद्यालय को कागजों में खंडहर घोषित कर चुका है। लेकिन अधिकारियों की हीला-हवाली और लापरवाही का ही नतीजा है कि बच्चे और अध्यापको की जिंदगी खतरे में ही रहती है। हालांकि इस बारे में अब अधिकारी जल्द ही इसे दुरुस्त कराने की और नए विद्यालय बनवाने की बात जरूर कर रहे है।
मामला विकासखंड वावन के प्राथमिक विद्यालय महोलिया शिवपार का है। जहां प्राथमिक विद्यालय की नींव ब्रिटिश पीरियड सन 1933 में रखी गई थी जो पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। छतों और दीवारों में दरारें आ चुकी हैं हल्की सी बारिश भी पूरे विद्यालय को तालाब बना देती है। ऐसे में जर्जर इमारत के नीचे बैठकर अध्यापिकाएं बच्चों को एक कमरे में पढ़ाती हैं। खास बात यह है की एक ही कमरे में पांचो कक्षाओं की पढ़ाई पूर्ण कराई जाती है क्योंकि सभी को आशंका के साये में जीना पड़ता है।
इस बारे में विद्यालय की शिक्षिकाएं बताती हैं कि करीब 8-9 साल से वह लोग लगातार विभाग को रिमाइंडर भेजते चले आ रहे हैं। लेकिन विभाग की तरफ से अभी तक उनको कोई राहत नहीं मिली है उनका कहना है एसडीआई ने एक साल पहले इस विद्यालय को खंडहर घोषित किया था ऐसे में वह लोग 1 साल से जान जोखिम में डालकर पढ़ाने आते हैं।
(रिपोर्ट-सुनील अर्कवंशी,हरदोई)