उत्तराखंड में बारिश आफत बनकर बरस रही है। कुमाऊं में हालात बेहद ही खराब है। नैनीताल का देश से सम्पर्क टूट चुका है। भारी बारिश से हर तरह सिर्फ तबाही का खौफनाक मंजर ही नजर आ रहा है। उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में करीब 24 व्यक्तियों की मौत हुई है।वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देर शाम कुमाऊं का दौरा किया। उन्होंने आपदा में हताहत होने वालों के स्वजनों को चार लाख रुपये मुआवजा और नुकसान पर एक लाख रुपये देने की घोषणा की।
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बता दें कि बारिश से कुमाऊं में हालात भयावह हैं। चंपावत के तिलवाड़ा गांव में घर में मलबा घुसने से दो की मौत हुई। नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लॉक के एक गांव में मकान जमींदोज होने से नौ और धारी तहसील के चौखुटा गांव में भूस्खलन की जद में आए मकान एक ही परिवार के छह लोगों की दबकर मौत हो गई। वहीं, रामनगर के एक रिजॉर्ट में पानी घुसने से फंसे करीब सौ व्यक्तियों का रेस्क्यू कर लिया गया है।
दरअसल उत्तराखंड में पिछले तीन दिनों हुई भारी बारिश ने इस पहाड़ी राज्य में अराजकता और आपदा के दृश्य पैदा कर दिए हैं। सड़कें पानी और मलबे से भर गई हैं, पुल टूट गए हैं और नदियां उफान पर हैं। स्थानीय लोग तो परेशान हैं ही साथ ही कई जगहों पर पर्यटक भी फंसे हुए हैं। नैनी झील का पानी सड़कों और घरों तक पहुंचा, पहले नहीं देखा होगा ऐसा नजारा नैनीताल में तो ऐसा नजारा देखने को मिला कि पहले कभी नहीं देखा होगा।
लगातार हो रही बारिश के कारण नैनी झील का पानी इतना बढ़ गया कि सड़कों और घरों तक पहुंच गया। रास्ते बंद हो गए हैं। बिजली गुल है। लोगों से घरों के भीतर रहने की अपील की गई है. बारिश के कारण नैनीताल, रानीखेत, अल्मोड़ा से हल्द्वानी और काठगोदाम तक के रास्ते बंद हो गए हैं।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में कई जगहों पर लगातार हो रही बारिश से परेशानी बढ़ती जा रही है। ऐसे में कई जगहों पर यात्रियों के फंसने की ख़बरें भी आ रही हैं। एसडीआरएफ और उत्तराखंड पुलिस ने जानकी चट्टी से यात्रियों को देर रात सुरक्षित गौरीकुंड पहुंचाया। ये यात्री केदारनाथ मंदिर में दर्शन के बाद फंस गए थे और बारिश के चलते लैंडस्लाइड व मलबा गिरने का ख़तरा बना हुआ था। गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर मंदाकिनी नदी के दूसरी तरफ़ फंसे घायल यात्रियों समेत कई लोगों को बाहर निकाला। रातभर हो रही मूसलाधार बारिश और तमाम मुश्किलों को झेलते हुए SDRF ने 22 यात्रियों को बचाया।
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