कानपुर देहात — सारा देश जहां रावण का पुतला दहन कर असत्य पर सत्य की जीत का जश्न मना रहा था वही कानपुर देहात में महामानव रावण की पूजा अर्चना कर शोभा यात्रा निकाली गयी। हज़ारो की संख्या में लोग जय लंकेश कटे कलेश के नारे लगाते रहे और हज़ारो की संख्या में लोगो ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली।वही मेले के आयोजक ने दावा किया कि लगभग हजारो लोगो ने सर मुंडवा कर बौद्ध धर्म की दीक्षा ली
एक ओर जहां पूरा देश रावण का पुतला दहन कर विजय दशमी का पर्व हर्षोउल्लास से मनाया गया वही कानपुर देहात के पुखरायां इलाके में रावण का पुतला नही जलाया गया बल्कि रावण की पूजा अर्चना की गयी।इस दौरान महामानव रावण की शोभा यात्रा निकाली गयी और पूरे इलाके में रावण को घुमाया गया। हज़ारो की तादाद में लोगो ने जय लंकेश कटे क्लेश के नारे लगाए। ये सिलसिला लगभग 26 सालो से चला आ रहा है।
वहीं कार्यक्रम में पहुंचे बिजनेसमैन व अमरौधा चेयरमैन पति महेश गौतम ने कहा कि महामानव रावण को नही जलाना चाहिए महामानव रावण ज्ञानी था सर्वशक्तिमान था।उनका कहना था कि 14 अक्टूबर सन 1964 को बाबा साहब ने नागपुर में बौद्ध धर्म की दीक्षा लेकर बौद्ध धर्म अपनाया था इसी कड़ी को हम आगे बढ़ा रहे है और आज लगभग हजारो लोगो ने सर मुंडवा कर बौद्ध धर्म की दीक्षा ली है।
जबकि मेले के आयोजक धनिराव पैंथर का कहना था कि सरकार ने प्राचीन रविदास मंदिर तुड़वा कर दलितों की आस्था को ठेस पहुचाया है और अगर सरकार ने रविदास मंदिर का निर्माण नहीं कराया तो दलित समाज अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नही होने देगा फिर चाहे कितना बड़ा आंदोलन करना पड़ जाए।