एटा–एटा में बेमौसम हो रही बरसात अब अन्नदाता, किसानों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। किसानों की सैकड़ों बीघा मक्का और बाजरे की फसल नष्ट हो गई।
मामला जनपद एटा के राजा का रामपुर थाना क्षेत्र के विलसड गांव का है जहां अपनी गाढ़ी कमाई से अन्नदाताओ ने मक्का और बाजरा की फसलों में लागत लगाकर दिन रात एक कर के खून पसीना बहा कर मक्का और बाजरा की फसल को तैयार किया था, लेकिन अन्नदाता करे तो किया करे कुदरत ने उसे एक बड़ी मार दे दी है। कुदरत के इस कहर से किसानों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। वही जो अन्नदाता आने वाले कुछ समय में अपने बच्चों अपने परिवार को चलाने के लिए 2 जून की रोटी का इंतजाम दिन रात मेहनत करके कर रहा था लेकिन कुदरत के इस कहर ने बे-मौसम हुई बरसात ने उसकी दिन रात की मेहनत पर पानी फेर दिया।
सैकड़ों बीघा की लहराती मक्का और बाजरा की फसल ताश के पत्तों की तरह बिखर के रह गई। वहीं अन्नदाताओं का कहना है कि चाहे सर्दी हो या गर्मी जाड़ा हो या पाला बरसात हो या बाढ़ उन्हें तो मजबूरी में सब कुछ सहना पड़ता है और सरकार उनकीं कुछ सुनवाई नही करती तो उन्हें सब कुछ सहने की आदत सी बन जाती है। रही बात कुदरत की तो कुदरत का कहर आए दिन झेलने की उनकी आदत पड़ चुकी है।
अब देखने की बात होगी कि ये जिला प्रशासन इन पीड़ित किसानों का दर्द महसूस कर इनके फसल नुकसान से हुए घावों पर मुआवजे का मरहम लगा पाता है या उनको मुआवजा की राशि देता है या नहीं। वैसे तो किसानों के लिए मदद कागजों में सिमट कर रह जाती है। लेकिन बेमौसम हुई बरसात से फसलों में हुए नुकसान की आखिर भरपाई कौन करेगा। ये सोचने का विषय है।
(रिपोर्ट-आर.बी.द्विवेदी, एटा)