‘हनुमान जयंती’ स्पेशल:यहां मौजूद है मिट्टी और गोबर से बनी हनुमान जी की प्रतिमा

फर्रुखाबाद–हनुमान जयंती 31 मार्च को पूरे देश में मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि चैत्र माह की पूर्णिमा को ही हनुमान जी का जन्म हुआ था। इस अवसर पर ‘यूपी समाचार’ की तरफ से प्रस्तुत है एक स्पेशल स्टोरी—

आपने मंदिर कई प्रकार के देखे व सुने होगे और ईंट ,पत्थर तथा सीमेन्ट की मूरत भी देखी होगी । लेकिन क्या कभी आपने मिट्टी और गोबर से बनी श्री रामभक्त हनुमान जी की प्रतिमा देखी है?

रामभक्त हनुमान जी की यह मूरत उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर फर्रुखाबाद में भोलेपुर में वीराजमान है । फतेहगढ रेलवे स्टेशन से लगभग 100 मीटर दूरी पर स्थित हनुमान जी का मंदिर हजारों लोगों की आस्था का केन्द्र है। हनुमान जयंती पर यहां विशेष मेला लगता है ।

कई साल पुराने इस मंदिर की मान्यता है कि यहां सच्चे दिल से मांगी गयी हर मुराद पूरी होती है। खास बात यह है कि मंदिर में श्री रामभक्त हनुमान की जो प्रतिमा है वो मिट्टी और गोबर से बनी है। मंदिर में रहने वाले बाबा की मानें तो यह प्रतिमा लगभग 25 फिट की होगी। बताते हैं कि करीब 500 साल पहले गुरु महाराज मुनि ने इस मंदिर की नींव रखी थी। अब हर मंगलवार यहां मेला सा लगता है। सालों से यहां आने वाले लोगों की इस मंदिर के प्रति आस्था देखने लायक होती है।

श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां आने वाले हर किसी की समस्या चमत्कारिक रुप से हल हो जाती है। साल दर साल मंदिर को भव्य रुप दिया जा रहा है। पूरे देश  में हनुमान जी की इस तरह की प्रतिमा नहीं है। हरतीरथ से लायी गयी मिटटी और जल में गाय का गोबर मिलाकर इस प्रतिमा को बनाया गया था। कहते हैं कि एक बार गुरु महाराज जी ने अचानक आकर जमीन पर मंदिर की स्थापना कर पूजा अर्चन जारी किया था जिस पर गुरु महाराज जी को जमीन मालिक छत्र सिंह ने डांटकर भगा दिया था जिसके बाद उनका परिवार बीमार पड़ गया था। छत्र सिंह ने बाद में खोजकर माफी मांगी तब जाकर उनके कष्टों का निवारण हुआ।

यहां पूजा अर्चना के लिये किसी विषेश रीति रिवाज की नहीं बल्कि भाव एवं भक्ति को महत्व दिया जाता है। यहां हर मंगलवार कोआस्था का सैलाब उमड़ता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि सच्चे दिल से मांगी गयी हर मुराद पूरी होती है। मंदिर में छोटे बच्चों को झाड़ कर बुरी आत्माओं से बचाया जाता है। यहां आकर हर व्यक्ति अपने को सुरक्षित महसूस करता है।

(रिपोर्ट- दिलीप कटियार , फर्रुखाबाद)

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