न्यूज डेस्क — मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर। लोग साथ आते गये और कारवां बनता गया।। “मंजिले उन्ही को मिलती है जिनके सपनो में जान होती है, पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों में उडान होती है” इन्ही चंद शब्दों को चरितार्थ करके दिखाया
उत्तर-प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जनपद के हाई स्कूल फेल हाईटेक किसान रामशरन वर्मा ने जिन्होंने अपने छोटे से गांव में रहकर वो कामयाबी हासिल की है जिसका कायल आज हर वो इन्सान है जिसने सपनो को सपनो तक ही सीमित रखा हकीकत में कभी नहीं सोची।
ख़्वाब के सपनो को हकीकत में बदल दिया है रामशरण वर्मा ने अपने छोटे से गाव दौलतपुर मैं आज बड़े सेेे बड़े अधिकारी विधायक मंत्री और देश के जाने-मााने कृषि रामशरण वर्मा की हाईटेक खेती देखने आते हैं। रामसरन वर्मा को इसीलिए प्रदेश का कृषि क्षेत्र में ब्रांड अम्बेडकर बनाया गया हैं।
दरअसल उत्तर-प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे 30 किमी.दूर बाराबंकी जनपद में खेतो से उगता है हरा सोना और ये सोना जमीन से उगाने वाला वो मामूली इंसान थे जो आज करोड़पति है। हाई स्कूल फेल होने के बावजूद उन्होंने आज वो सब करके दिखा दिया जिसे पढ़ाई की बड़ी-बड़ी डिग्री लेने के बाद भी लोग इतना बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर पाते वो महज इतनी कम पढाई करके मेहनत और लगन से जिंदगी में वो सब हासिल कर लिया जिसका आज उत्तर-प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में भी उसका नाम प्रसिद्द होता है।
उन दिनों में जब किसान खेती छोड़कर अधिक लाभ के लोभ में शहरों की तरफ पलायन कर रहे थे तो ऐसे समय में रामशरण वर्मा खेतों से हरा सोना पैदा करने का सपना देख रहे थे। यदि कोई किसान सालाना खेती के जरिये ही करोड़ों रुपये टर्नओवर की बात करे तो जरूर एक अजूबा लगता है और यही अजूबा देखने बाराबंकी के ग्राम दौलतपुर अक्सर लोग जाया करते है। किसानों के साथ साथ रामशरण वर्मा से हाईटेक खेती सीखने तमाम वी.आई.पी हस्थिया भी उनके फ़ार्म हाउस पर पहुंचते है । यही नहीं बीते दिनों में विदेश के किसानों को भी दौलतपुर गाव पंहुचा दिया ।
जहाँ रामसरन वर्मा का कृषि फार्म हाउस देखते ही बनता हैं मामूली किसान से करोड़ पति बने हाई टेक किसान राम सरन वर्मा को अबतक दर्जनों पुरुस्कार मिल चुके हैं। किसान रामशरण ने बताया कि आठवीं पास हूं हाईस्कूल फेल हुं मेरे पिताजी खेती करते थे। एक बोरी खाद लेने के लिए मैं बाराबंकी जाता था आज मेरे पास हवाई जहाज से जाने का समय नहीं है।उन्होंने बताया कि खेती घाटे का सौदा नहीं है पर खेती फसल चक्र के जरिए की जाए तो। उन्होंने कहा अगर किसी किसान के पास 4 एकड़ जमीन है तो वह फसल चक्र अपनाकर एक एकड़ में गन्ना लगाएं और एक एकड़ में धान गेंहू की खेती करें और एक एकड़ में फल और सब्जी लगाएं और एक एकड़ में पशुओं के लिए चारे का इंतजाम करें इस तरह फसल चक्र अपनाकर कम लागत में खेती से मुनाफा कमाया जा सकता है।
उन्होंने बताया 1986 से वह 6 एकड़ जमीन से आज वह डेढ़ सौ एकड़ पर खेती कर रहे हैं। उनका कहना है खेती मैं मेहनत बहुत जरूरी है। प्रदेश के कई जिलों से किसान उनके फार्म हाउस पर आकर उनकी खेती की टेक्निक सीखते हैं। वह किसानों को निशुल्क परामर्श देते हैं साथ ही वह हमेशा खेत पर उपलब्ध रहते हैं। रामचरण ने बताया कि वह 1986 में एक एकड़ जमीन पर केले की खेती की शुरुआत की थी।आज वह 80 से 90 एकड़ जमीन पर केले की खेती कर रहे हैं केला 13 से 14 महीने में तैयार हो जाता है।
एक एकड़ में 80 से 90 हज़ार खर्च करते हैं 3 से 3.30 लाख रुपए केले से मिलते हैं अगर 90 हजार से एक लाख रूपये निकाल दिया जाएं तो शुद्ध लाभ ढाई लाख मिल जाते हैं। रामशरण ने बताया जब वह अकेले केले की खेती करते थे उन्हें अपना केला लेकर बाहर बाजार लेकर जाना पड़ता था। लेकिन आज उनकी देखा देखी कई किसान केले और टमाटर की खेती करते हैं तो अब बाजार की भी दिक्कत नहीं होती है उनके बाराबंकी जिले से ही तमाम केला टमाटर प्रदेश और देश के बड़े-बड़े व्यापारी लेकर जाते हैं।
फसल चक्र के जरिए खेती में चमत्कार करने वाले किसान रामसरन वर्मा का कहना है आज सबसे बड़ी समस्या खेती के लिए मजदूरों की है क्योंकि गांव से 3% लोग हर वर्ष शहर की तरफ जा रहे हैं जिससे बड़ी समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पन्न हो रही है कोई भी व्यक्ति खेती नहीं करना चाहता है और लगातार खेती में लागत ज्यादा आ रही है फ़र्टिलाइज़र भी महंगे हैं। उन्होंने कहा उन्हें खेती का 30 वर्ष का अनुभव है और धीरे-धीरे खेती से मुनाफा कम लागत ज्यादा आ रही है क्योंकि जो फसल किसान पैदा करता है।
उसका वाजिब दाम मिलना मुश्किल हो जाता है जिससे उसे लागत भी निकालना मुश्किल होता है लेकिन जो किसान फसल चक्र अपनाकर खेती करते हैं उनके पास नुकसान होने की कोई गुंजाइश नहीं रहती सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए कि किसानों की फसलों के उचित दाम उन्हें मिलने चाहिए उन्होंने कहा वह अकेला आलू टमाटर में था की खेती करते हैं और उन्हें काफी अनुभव भी है।
(रिपोर्ट – सतीश कश्यप, बाराबंकी)