सरकारी कम्पनी इरकॉन इंटरनेशनल के जाली कागज तैयार करके ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से ठेका लिया गया। इससे पहले ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के जाली दस्तावेज बनाकर इरकॉन इंटरनेशनल से ठेके लिए गए थे।
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गाजियाबाद की फर्म ने मध्य प्रदेश में नेशनल हाईवे पर साइनेज और रिफ्लेक्टर लगाने का ठेका लियाबाद में इसी फर्म ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में करोड़ों रुपए के ठेके लिए हैं।
अफसरों को पूरा घोटाला मालूम-
इरकॉन इंटरनेशनल ने फर्म को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। उसका ठेका रद्द करके जमानत का पैसा जब्त कर लिया है। दूसरी ओर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में पिछले एक साल से कोई कार्यवाही नहीं की, फाइल धक्के खा रही है।
गाजियाबाद के नेहरू नगर में रजिस्टर्ड फर्म मैसर्स नागर बिल्डर्स ने नेशनल हाईवे-3 पर मध्य प्रदेश में गुना से शिवपुरी के बीच वर्ष 2017 में काम करने का ठेका सरकारी कम्पनी इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड से हासिल किया था। 1.98 करोड़ रुपये का यह ठेका 14 अप्रैल 2017 को छोड़ा गया था। इसके लिए नागर बिल्डर ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण का अनुभव प्रमाण पत्र और दूसरे जरूरी दस्तावेज दाखिल किए थे। जब जांच करवाई गई तो यह दस्तावेज जाली पाए गए। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी नरेंद्र भूषण ने इरकॉन इंटरनेशनल को 26 सितंबर 2019 को एक चिट्ठी भेजी थी। जिसमें जानकारी दी थी कि यह अनुभव प्रमाण पत्र और इसका सत्यापन पत्र उनके कार्यालय से जारी नहीं किए गए हैं।
विकास प्राधिकरण का फर्जी दफ्तर ही खोल दिया-
जालसाज बिल्डर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के जाली दस्तावेज बनाने तक ही सीमित नहीं रहा। बिल्डर ने प्राधिकरण का फर्जी दफ्तर भी खोल दिया। इरकॉन इंटरनेशनल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (प्रोजेक्ट) एके गोयल ने इसकी जांच करवाई है। एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को भेजे अपने पत्र में लिखा है कि इन लोगों ने दस्तावेजों में ग्रेटर नोएडा का पता एच-15 सेक्टर बीटा-2 लिखा था। इस पते पर इरकॉन इंटरनेशनल के अफसरों की टीम ने जाकर जांच की। पता चला कि यह किसी एचसी नागर के नाम पर आवासीय भूखंड आवंटित किया गया था। जिस पर अब उनका घर बना हुआ है। इरकॉन इंटरनेशनल के अफसरों ने इस बारे में विकास प्राधिकरण से जानकारी ली। प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि उनका कार्यालय उस पते पर नहीं है।