नई दिल्ली — महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का निधन गुरुवार को पटना के पीएमसीएच में हो गया, लेकिन दुनियाभर से चर्चित गणितज्ञों में शुमार किए जाने वाले वशिष्ठ नारायण निधन के बाद भी सरकारी उपेक्षा के शिकार बने और काफी देर तक उनका शव एंबुलेंस का इंतजार करता रहा. देश से लेकर विदेशों तक अपना लोहा मनवाने वाले महान गणितज्ञ डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे रहे थे. उनके निधन के बाद देश प्रदेश में शोक का माहौल है.
वहीं परिजनों का आरोप है कि वशिष्ठ नारायण सिंह की मृत्यु के 2 घंटे तक उनकी लाश अस्पताल के बाहर पड़ी रही. 2 घंटे के इंतजार के बाद एबुंलेंस उपलब्ध कराया गया.74 साल की उम्र में दम तोड़ने वाले इस महान गणितज्ञ की ज़िंदगी के 44 साल मानसिक बीमारी सिजेफ्रेनिया में गुजरे. लोगों का मानना है कि शुरुआती दिनों में अगर उनके इलाज में सरकारी उपेक्षा नहीं हुई होती तो आज वशिष्ठ नारायण सिंह का नाम दुनिया के महानतम गणितज्ञों में सबसे ऊपर होता.
उनके बारे में मशहूर किस्सा है कि नासा में अपोलो की लॉन्चिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक था.इस महान गणितज्ञ ने देश के साथ-साथ विदेशो में भी अपने दिमाग का डंका बजाया.
बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर गांव में जन्में वशिष्ठ नारायण सिंह ने 1969 में मेंकैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए. नासा में भी उन्होंने काम किया. भारत लौटने के बाद आईआईटी कानपुर, आईआईटी मुंबई और आईएसआई कोलकाता में अपनी सेवाएं दीं.