लखनऊ — उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार बनते ही राज्य को भगवा रंग में रंगने की मुहिम जैसे चल पडी। एक के बाद एक कई प्रशासनिक भवनों के साथ बस से लेकर सोफे, चादर सड़कों के साइनबोर्ड और अब योगी सरकार ने लखनऊ स्थित हज हाउस को भगवा रंग में रंग दिया है।एक ओर जहां योगी सरकार भगवाकरण में मशगूह है वही दूसरी प्रदेश का किसान सड़कों पर आलू फेंकने को मजबूर है।
दरअसल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने शनिवार सुबह आलू किसानो द्वारा फसल का उचित मूल्य न मिलने के विरोध में विधान सभा और सीएम आवास सामने अपना आलू ट्रेक्टर ट्राली से लाद कर विधानसभा और मुख्यमंत्री आवास के सामने आलू फेंकने की घटना का समर्थन करते हुए उनके मुद्दे से पूर्ण सहमती जताते हुए समर्थन मूल्य कम से कम 10 रु प्रति किलो किये जाने की मांग की । वहीं राकापा ने पूरे प्रदेश में आलू किसानो के चल रहे आन्दोलन का भी समर्थन किया।
वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ० रमेश दीक्षित ने कहा कि प्रदेश के आलू किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं पा रहा है। जिससे फसल की लागत तक नहीं निकल पा रही। इससे किसानो में हाहाकार मचा हुआ और प्रदेश के आलू किसानो में ज़बर्दत रोष है। जबकी योगी सरकार उनकी समस्या का निदान करने के बजाये सरकारी इमारतों को भगवा करवाने और गोरखपुर महोत्सव जैसे फिजूलखर्ची के कार्य करने में व्यस्त है। डॉ० दीक्षित ने योगी सरकार से मांग कि है की तत्काल आलू का खरीद मूल्य कम से कम 10 रु प्रति किलो किया जाये ताकि उनको कुछ राहत मिल सके। इसके साथ-साथ उन्होंने बिचौलियों पर अंकुश लगाये जाने की भी मांग की जो किसानो से सस्ते दर पर फसल खरीद कर उसको बाद में महंगे दाम पर बेच कर भारी मुनाफा कमाते है।
उन्होंने योगी सरकार को चेताते हुए कहा कि जल्द आलू किसानों की समस्या का निदान न किया गया तो राकापा सड़कों पर इसका जम कर विरोध करेगी और विधानसभा को घेरेगी। इसके साथ साथ उन्होंने योगी सरकार पर आरोप लगाया कि वह अपनी नाकामी को छुपाने के लिए रोज नए नए शिगूफे (इमारत को भगवा रंगवाने) गढ़ रही है। ताकि जनता का ध्यान मुद्दों से हटा सके और रोजगार कानून व्यवस्था की नाकामियों को छुपाया जा सके।
यही नहीं कानून व्यवस्था पर तंज कसते हुए उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश की पुलिस व्यवस्था इतनी दुरुस्त है की किसान ट्रेक्टर- ट्राली से आलू लाद कर सीएम आवास, विधानसभा के सामने बिखरा कर चले जाते है और किसी को कानो कान खबर नहीं लगती।