लखनऊ — सपा शासन काल में हुए गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई (CBI) ने अपनी प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है। जिसमें आधा दर्जन से अधिक इंजीनियरों का फंसना तय माना जा रहा है। सीबीआई इस मामले में जल्द ही अलग-अलग टेंडर में हुए घपले की अलग-अलग FIR दर्ज करेगी। इसके लिए सीबीआई ने अपने मुख्यालय से अनुमति मांगी है।
दरअसल सीबीआई ने इस मामले में दो साल पहले गोमतीनगर में दर्ज FIR के आधार पर अपने यहां एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की थी।कहा जा रहा है कि सीबीआई की प्रारंभिक जांच में टेंडर देने में घपले के सबूत मिले हैं।
गौरतलब है कि गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने 1513 करोड़ स्वीकृत किए थे। जिसमें से 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ। 95 फ़ीसदी बजट जारी होने के बाद भी 40 फीसदी काम अधूरा ही रहा। मामले में 2017 में योगी सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। आरोप है कि डिफाल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया था। पूरे प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दे दिया गया था।
सूत्रों की माने तो इस मामले में आठ इंजीनियरों का फंसना तय है। ये सभी इंजीनियर सीबीआई द्वारा पूर्व में दर्ज एफआईआर में नामजद हैं। इन सभी से पूछताछ भी की जा चुकी है। तत्कालीन मुख्य अभियंता गुलेश चंद्रा, एसएन शर्मा, काजिम अली, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता मंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह व रूप सिंह यादव और अधिशासी अभियंता सुरेंद्र यादव। इसमें से कई रिटायर हो चुके हैं।