अम्बेडकरनगर में किसान सम्मान निधि में लाखो रुपये का फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट किसान सम्माननिधि में डाटा फंडिंग करने वाले कर्मचारी द्वारा फर्जी तरीके से अपने ही परिवार के कई सदस्यों की फर्जी खतौनी लगाकर लगभग 8 बार किसान सम्माननिधि का पैसा ले चुका है। मामला मीडिया में आने के बाद से विभाग में हड़कम्प मच गया।
किसान सम्मान निधि में घपलेबाजी:
अम्बेडकरनगर जनपद के भीटी तहसील में तैनात अजय राणा जोकि प्राथमिक विद्यालय रुदऊपुर में अनुदेशक के पद पर कार्यरत है। उसे ही भीटी तहसील में सम्बद्ध करके पीएम किसान सम्माननिधि की डाटा फीडिंग का कार्य सौंपा गया है। डाटा फीडिंग का कार्य कर रहे कर्मचारी अजय राणा का बड़ा फर्जीवाड़ा काम करने में नाम सामने आया है। अजय राणा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए फर्जी तरीके से अपने ही परिवार के पांच सदस्यों का डाटा फीडिंग करके लगभग आठ क़िस्त पीएम किसान सम्माननिधि का ले चुका है। जबकि आरोप ये है कि इनके परिवार के सदस्यों के नाम भूमि नही है। इस कर्मचारी द्वारा इतना ही नही खेल किया गया है। इसने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए इस तरह से कई फर्जी नाम इनट्री करके पीएम किसान सम्माननिधि में लाखो रुपये का फर्जीवाड़ा किया है। शिकायत कर्ता के अनुसार इस कर्मचारी ने अपने मोबाइल नंबर से 5 लोगो को एड किया है जिससे सम्माननिधि का पैसा आते ही उसके मोबाइल नम्बर में मैसेज आ जाता है और पैसा निकाल लिया जाता है। इस अधिकारी ने अपने भाई के मोबाइल पर भी कई नम्बर एड किया है। शिकायत कर्ता रजनीश वर्मा ने इसकी लिखित शिकायत जिला कृषी अधिकारी से की है। शिकायत कर्ता का आरोप है कि इन सभी लोगो के पास भूमि नही है। फिर भी फर्जी तरीके से किसान सम्माननिधि का लाभ ले रहे है।
जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। पता चला है कि तहसील के किसी कर्मचारी द्वारा ऐसा जालसाज किया गया है। तहसील स्तर से जांच की जा रही है जांच में दोषी पाए जाने पर अपात्र व्यक्तियों से बकायदा किसान सम्माननिधि की रिकवरी की जाएगी और कर्मचारी पर भी कार्यवाही की जाएगी।
अधिकारी और कर्मचारी की खुली पोल:
सरकार के अधीनस्थ कर्मचारी एवं उसके मातहत ही लगातार सरकारी योजनाओं को विफल करने में लगे हुए है। आएदिन कभी न कभी किसी अधिकारी एवं कर्मचारी के मिलीभगत का कारनामा सामने आता ही रहता है लेकिन कार्यवाही के नाम पर महज खाना पूर्ति की जाती है। जांच के नाम पर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। अब देखना होंगा इस मामले में क्या कार्यवाही होती है या फिर जाँच के लिए सांत्वना दिया जाएगा।
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