फर्रुखाबाद–जरुरत अविष्कार की जननी है ।एक ऐसा ही अविष्कार छपाई व्यवसाई ने कर दिखाया है। मच्छरों के आतंक से परेशान एक उद्यमी ने समस्या से निजात दिलाने के लिए प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने स्वयं ही मच्छरों से निपटने की रणनीति बनाई।
इसी रणनीति के तहत उन्होंने जुगाड़ से फॉगिंग मशीन तैयार कर दी। इसकी लागत भी 500 रुपये ही आई है। इस मशीन से कम लागत में ज्यादा इलाके में दवा का छिड़काव किया जा सकता है। शहर के मोहल्ला जटवारा जदीद निवासी चंद्रपाल वर्मा यूं तो छपाई व्यवसाई हैं, लेकिन वह भी आम नागरिकों की तरह मच्छरों के आतंक से परेशान थे। इसके लिए उन्होंने कई बार प्रशासन को शिकायती पत्र देकर मोहल्ले में फा¨गग कराने की मांग की। उनकी इस मांग को अनसुना कर दिया गया। थक हारकर उन्होंने बाजार से स्वयं की फॉगिंग मशीन मंगाने की सोंची, लेकिन बाजार में 8500 रुपये लेकर 28 हजार तक की मशीनें थीं। उतनी महंगी मशीन वह खरीद नहीं सकते थे। उसके बाद उन्होंने जुगाड़ से फा¨गग मशीन तैयार कर दी। उनका कहना है कि वह यह मशीन तैयार कर लोगों में वितरित करेंगे। केवल जो सामान बाजार से लाना है, उसकी कीमत देनी होगी।
एक प्लास्टिक की बाटल में डीजल और मैलाथियान दवा का मिक्चर भरते हैं। फिर प्रेसर देने के बाद यह दवा एक कॉपर के पाइप में होकर नोजिल तक पहुंचती है। इसी पाइप का क्वायल होता है। यह क्वायल कोयले की आग से गर्म किया जाता है। जब गर्म पाइप तक दवा और डीजल पहुंचता है तो वह धुएं के रूप में तब्दील हो जाता है।
(रिपोर्ट-दिलीप कटियार, फर्रूखाबाद)