हरियाणा सरकार उत्तर प्रदेश, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के किसानों का धान नहीं खरीदेगी। केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। पड़ोसी राज्यों के करीब 52 हजार सीमांत किसानों ने हरियाणा में अपनी फसल बेचने के लिए पंजीकरण कराया था। हरियाणा सरकार के धान की फसल खरीदने से पहले मेरी फसल-मेरा ब्यौरा नामक पोर्टल को ओपन करके किसानों से पंजीकरण कराने का आग्रह किया गया था। इस पोर्टल पर हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के किसानों ने भी रुझान दिखाया है।
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हरियाणा की मंडियों में अभी तक 35,75,371 टन धान की खरीद हो चुकी है। इसमें से अंबाला जिले में तीन लाख 84,748 टन, फतेहाबाद में दो लाख 75,352, जींद में 89,099, कैथल में पांच लाख 52,928 टन, करनाल में आठ लाख 18,102 टन, कुरुक्षेत्र में 8,62,932 टन, पंचकूला में 60,302, पानीपत में 40,850 टन, सिरसा में 50,854 टन और यमुनानगर में 3,66,30 टन धान की खरीद हुई है।
सरकार के पोर्टल पर विभिन्न राज्यों के करीब 52,724 सीमांत किसान पंजीकृत हैं। इनका धान खरीद के लिए पोर्टल पर पंजीकरण किया गया है। इसमें 31,533 सीमांत किसान केवल उत्तर प्रदेश के हैं। पंजाब सरकार भले ही हरियाणा की नीतियों की आलोचना करे, लेकिन पंजाब के 18 हजार 27 सीमांत किसानों ने भी पंजीकरण कराया है। यही नहीं हिमाचल प्रदेश के भी करीब 3164 सीमांत किसानों ने हरियाणा में अपनी धान की फसल बेचने के लिए पोर्टल पर पंजीकरण कराया है।
हरियाणा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी के मुताबिक हरियाणा सरकार की मंडियों में प्रदेश के किसानों का धान खरीदा जा रहा है। यह बात सच है कि पड़ोसी राज्यों के किसानों ने पंजीकरण करवाया है। इस संबंध में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था। केंद्र ने उसे खारिज कर दिया है। इसलिए अब हरियाणा के किसानों का ही धान खरीदा जाएगा।
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