आलू का समर्थन मूल्य घोषित किए जाने से किसानों में आक्रोश

फर्रुखाबाद — सरकार द्वारा आलू का समर्थन मूल्य 559 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया है। वर्तमान में मंडी में आलू का भाव 750 से लेकर 800 रुपये प्रति क्विंटल है। पिछले दो वर्षों से किसान आलू में घाटा झेल रहे हैं। ऐसे में इतना कम समर्थन मूल्य घोषित किए जाने से किसानों में आक्रोश है।

दरअसल पिछले वर्ष किसानों ने अपनी गाढ़ी कमाई लगाकर आलू पैदा किया था। आलू कोल्ड स्टोरेज से निकालकर गड्ढों में फेंक दिया गया था। दो वर्षों में लगातार घाटे से आलू किसान बर्बाद हो गया। किसानों से सरकार से आलू का समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग की थी। मजे की बात यह है कि जब मंडी में आलू का भाव 750 रुपये से 800 रुपये प्रति क्विंटल है, उस समय सरकार ने 559 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य घोषित कर दिया। ऐसे में कोई किसान 250 रुपये प्रति क्विंटल घाटे में आलू सरकार को क्यों बेचेगा। आलू खरीद का एलान तब हुआ जब खेतों में 25 फीसद ही आलू बचा है।

पिछले वर्ष भी सरकार ने आलू खरीद की घोषणा तब की थी जब ज्यादा आलू खेतों में नहीं बचा था। सरकार द्वारा किसानों को ट्रक भाड़े में छूट भी हवा हवाई साबित हुई है। आलू किसानों का मानना है कि 559 रुपये प्रति क्विंटल में बमुश्किल लागत ही निकलेगी। सरकार को कम से कम 800 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए। 

आलू किसानो का कहना है सरकार द्वारा घोषित किया गया समर्थन मूल्य कम है। इससे आलू की लागत भी नहीं निकल पाएगी। सरकार की ट्रक भाड़े की छूट का किसानों को कोई लाभ नहीं मिला।  दो वर्षों से कोल्ड स्टोरेज में रखा आलू फेंका जा रहा है। इस वर्ष भाव अच्छा होने से किसानों को घाटा पूरा होने की उम्मीद है। तब सरकार ने 549 रुपये समर्थन मूल्य घोषित कर दिया। जब मंडी में भाव अच्छा मिल रहा है तो कोई सरकार को आलू क्यों देगा। सरकार ने आलू किसानों के हित में कोई निर्णय नहीं लिया। जब तक आलू का समर्थन मूल्य 800 रुपये प्रति क्विंटल नहीं होगा, तब तक किसान खुशहाल नहीं होगा।

(रिपोर्ट-दिलीप कटियार,फर्रुखाबाद)

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