मंदबुद्धि परिवार के लिए यह व्यक्ति बना मसीहा !

हरदोई–जिले में एक ऐसा मंदबुद्धि परिवार सामने आया है जिसके सभी सदस्य मानसिक रोगी है। इस परिवार में माता -पिता के साथ – साथ 4 बच्चे शामिल हैं। गरीबी और मुफलिसी का दंश झेल रहे मानसिक रोग से ग्रसित इस परिवार की ओर शासन -प्रशासन की नजरें इनायत नहीं हुई तो ऐसे में एक समाजसेवी ने इनकी मदद का बीड़ा उठाया है।

सरकार मानसिक रोगियों के लिए तमाम योजनाएं चलाती है इनके लिए पेंशन ,आवास ,दिव्यांग प्रमाणपत्र और बच्चों के लिए निःशुल्क पढ़ने का प्रबंध भी कराती है लेकिन इसे इनकी बदकिस्मती कहे या फिर सरकारी अमले का नकारापन कि मुफलिसी बेबसी और लाचारी का दंश झेल रहे इस परिवार को सरकार की किसी योजना का लाभ अभी तक नहीं मिला है। 

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में विकासखंड सांडी के गाँव कैखाई के रहने वाले राजेश (40) के परिवार में पत्नी राजरानी (37) , तीन  बेटे रिंकू (18) सुमित (15)  रामनाम (3) और एक  बेटी  रोशनी (10) साल की है।यह पूरा परिवार मानसिक रोगी है जिनमे माता-पिता  तो बोलते भी है लेकिन चारो बच्चे जन्म लेने के बाद कभी बोल ही नहीं पाये राजेश के परिवार की माली हालत ठीक नहीं है। इनके पास न जमीन है और न ही मकान लिहाजा राजेश अपने पूरे परिवार के साथ अपनी ससुराल विकासखंड अहिरोरी के गाँव मंगोलापुर में रहते है। मजदूरी कर राजेश अपने परिवार का भरण पोषण करते है।मजदूरी करने के बाद जो मेहनताना मिलता है उसी से गुजर बसर होती है। 

शिवपाल सिंह जन कल्याण संस्थान से जुड़कर समाजसेवा का कार्य करते हैं। इस संस्था द्वारा संचालित साईं नशा मुक्ति परामर्श एवं पुनर्वास केंद्र मंगली पुरवा फाटक रेलवेगंज में आयोजित शिविर में अपने परिवार के साथ पहुंचे राजेश का मेडिकल चेकअप कराया गया। संस्था के संचालक राजवर्धन सिंह ने इस पूरे परिवार की मदद का बीड़ा उठाया है और उनकी भरसक सहायता का उन्हें भरोसा दिलाया है। राजवर्धन सिंह के मुताबिक़ पहले तो इस परिवार के लोगों के आधार कार्ड बनवाये जायेंगे इसके बाद इनके चारों बच्चो को अपने खर्चे से लखनऊ विद्यालय में पढ़ाने के लिए शिफ्ट किया जाएगा ; ताकि बच्चों की पढाई लिखाई हो सके। इसके बाद वह इन दंपत्ति की मदद भी करेंगे।राजबर्धन सिंह साईं नशा मुक्ति परामर्श एवं पुनर्वास केंद्र के प्रबंध निदेशक है। वह सड़कों पर मिलने वाले विक्षिप्तों की सेवा करते है और अपने केंद्र में भर्ती कराकर उनका इलाज कराते है। यहां पर भर्ती होने वाले मरीजों को निशुल्क चिकित्सा, खाना और रहने का स्थान दिया जाता है।  

( रिपोर्ट-सुनील अर्कवंशी, हरदोई ) 

 

 

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