लखनऊ–शहरों में कनेक्शन लेकर मुफ्त पानी पीने वालों को अब इसका टैक्स भरना होगा। इसके साथ ही अगर सीवर का कनेक्शन ले लिया है तो उसका भी पैसा भरना होगा।
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निकाय इस संबंध में अभियान चलाकर ऐसे लोगों से टैक्स वसूली शुरू करने जा रहे हैं। अमृत योजना में करीब 13.30 लाख परिवारों को मुफ्त कनेक्शन देने की व्यवस्था की गई थी।
निकायों का खजाना खाली-
कोविड-19 से निकायों की स्थिति काफी खराब है। मार्च, अप्रैल और मई में लॉकडाउन के चलते हाउस टैक्स, वाटर टैक्स और सीवर टैक्स की वसूली लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो पाई है। इतना ही नहीं राज्य वित्त आयोग से मितने वाला पैसा भी नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते निकायों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। अधिकतर निकाय अपने कर्मचारियों का वेतन तक नहीं दे पा रहे हैं। नगर विकास विभाग चाहता है कि अमृत योजना में घरों और प्रतिष्ठानों में निकायों द्वारा दिए गए वाटर और सीवर कनेक्शन से टैक्स वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी जाए। इसके लिए निकायों को सर्वे कराते हुए बिलिंग के निर्देश दे दिए हैं। शासन का मानना है कि इससे निकायों की माली स्थिति में थोड़ा-बहुत सुधार होगा।
दो लाख से तुरंत वसूली होगी-
अमृत योजना में 248649 घरों में पेयजल और 201108 घरों में सीवर का कनेक्शन सबसे पहले दिया गया था। इसलिए इन घरों से तुरंत वसूली शुरू करने का निर्देश दे दिया गया है। इसके साथ ही जवाहर लाल नेहरू अरबन नीवकरण मिशन योजना में सीवर लाइन और पेयजल लाइन में कुछ लोगों ने अपने स्तर से ही कनेक्शन करा लिए हैं। इसलिए ऐसे लोगों को भी चिह्नित करते हुए उनसे टैक्स की वसूली का निर्देश दिया गया है। शासन का मानना है कि इससे यह पता चल जाएगा कि निकायों को सालाना कितना आय होगा और उन्हें इसके अतिरिक्त और कितने पैसों की जरूरत होगी। निकायों की माली हालत सुधारने के लिए अन्य विकल्पों पर भी विचार चल रहा है।