नगर निगम ने तकनीकी कार्यो एवं आपूर्ति हेतु खुला निविदा आमंत्रित किया जिसमे कई कंपनीयो ने हिस्सा लिया। जिसमे विभागीय अधिकारियो के साथ मध्यस्थता निभा रहे पोर्टल के पत्रकार महोदय की चहेती कंपनी को कार्य आबंटित न हो सका तो पत्रकार महोदय ने पत्रकारिता का सहारा लिया एवं झूठी खबर प्रकाशित कर दी।
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सर्वप्रथम सवाल ये उठता है की विभाग की निविदा संबंधी गोपनीयता महानुभाव पत्रकार को कैसे प्राप्त हुई। खबर की बिना पुष्टि किये मंत्री प्रकाश जावेड़कर केंद्रीय सुचना एवं प्रसारण मंत्रालय एसडीएमसी के अधिकारियो की जाँच हेतु निगम आयुक्त ज्ञानेश भारती को आदेश भी निर्गत कर दिया।
अब सवाल यह उठता है की उक्त निविदा में जिस कम्पनिंयो ने हिस्सा लिया निश्चित रूप से उसमे कोई न कोई कंपनी निविदा जीती होगी और उसके पीछे कंपनी की टीम ने पूरी मेहनत के साथ काम भी किया होगा। परन्तु धन उगाही के चक्कर में पत्रकार महोदय ने कंपनी की छबि को भी धूमिल करने का भरपूर प्रयास किया और आर्थिक नुकसान भी पहुंचाया।
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विस्वस्थ सूत्रों से ये भी ज्ञात हुवा है की ये पत्रकार महोदय पत्रकारिता कम और निविदा हेतु मध्यस्तता अधिक करते है।
बताते चले की जब चहेती कंपनी को कार्य नहीं मिला तो पत्रकार महोदय ने एक सरकारी कंपनी का सहारा लिया और उसके नाम पर अपना खेल प्रारम्भ कर दिया। अब स्थिति ये है की जो कंपनी एल वन हुई उसी को झूठ का सहारा ले के और पत्रकार महोदय के डर से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
ऐसे ही पत्रकारीता का स्तर गिरता रहा तो समाज में पत्रकारों से लोगो का विस्वास धूमिल हो जायेगा। ऐसे पत्रकारों के लिए सरकार को कड़े निर्णय लेने की आवश्यकता है। जैसा की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया है।