एटा–योगी सरकार और डीजीपी साहब भले ही अपनी पुलिस को जनता को त्वरित न्याय देने की लाख हिदायतें क्यों न दें दे ,लेकिन पुलिसिया सिस्टम में रिश्वत और चढ़ावा का ऐसा घुन लग चुका है कि मानों बिना इसके वो एक कदम भी आगे न बढ़ सके।
शायद यही वजह है कि डीजीपी साहब ओपी सिंह जहॉं पुलिस की छवि को लाख सुधारने के दावे क्यों क्यों न करे लेकिन ये यूपी पुलिस है जिसने कसम खा रखी है कि “तुम लाख सुधार लो, पर हम नहीं सुधरेंगें” । ताजा मामला एटा में देखने को मिला जहॉं रिश्वतखोर पुलिस ने अपने चढ़ावे की खातिर एक गरीब किसान की भैंस ही बिकवा दी और रिश्वत खाने के बाद भी जब पुलिस ने कोई कार्यवाई नहीं की तो किसान ठगा सा रह गया। दरअसल ये पूरा मामला मिरहची कस्बे का है जहॉं के रहने वाले पीड़ित किसान रामपाल का अपने भाई से विवाद हो गया था जिसके बाद पुलिस ने रिश्वतखोरी का ऐसा ताना बाना बुना कि रामपाल और उसके परिवार को धारा 308 का ऐसा भय दिखाया कि पीड़ित और उसका परिवार दहशत में आ गया।
इतना ही नहीं मुकदमा दर्ज़ करने, मामले को शॉंत करने और बच्चों के नाम निकालने के एवज में पीड़ित किसान का आरोप है कि मिरहची एसएचओ और एस एस आई समेत अन्य पुलिसकर्मियों ने मोटी रकम की मॉंग की जिसके बाद लाचार किसान को मजबूरी और पुलिसिया भय के चलते पुलिस की जेब भरने के लिए अपनी भैंस को 70 हजार रुपये में बेचना पड़ा। पीड़ित किसान ने इलाका पुलिस के खिलाफ कार्यवाई के नाम पर सत्तर हजार रुपये में भैस बेचकर रिश्वत देने के आरोप लगाये है। लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाई तो दूर उल्टा रकम डकारने के बाद पीड़ित को ही ऑंख दिखाना शुरु कर दिया जिसके बाद लुटा-पिटा किसान एस एस पी अखिलेश चौरसिया की शरण में पहुंचा।
पूरे मामले को संज्ञान में लेने के बाद एस एस पी ने पूरे मामले की जॉंच एएसपी संजय कुमार को सौंप दी है और दोषी पाये जाने पर दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्यवाई की बात कही है।
(रिपोर्ट – आर. बी. द्विवेदी, एटा )