कानपुर देहात--कानपुर देहात में भ्रष्ट तंत्र की वो नज़ीर देखने को मिली; जिसने मुफ़लिस गरीब लोगो को लाभ देने वाली सरकारी योजनाओं के दम तोड़ने की असली तस्वीर बयान कर दी। दरअसल ग्रामीणों को स्वच्छ पानी देने के लिए करोड़ो रुपयों की लागत से सरकारी पानी की टंकी बनायी गयी जो महज़ एक साल चली और उसके बाद उस पानी की टंकी ने दम तोड़ दिया और पानी की टंकी शो पीस बन कर रह गयी।
वजह थी भ्रष्टाचार। दरअसल पानी सप्लाई के लिए जो पाइप डाले गए वो एकदम सस्ती ओर रद्दी क्वालटी के थे जो महज़ एक साल में ही फट गए और पानी की सप्लाई बंद हो गयी। 4 साल गुजर गए लेकिन किसी भी अधिकारी को बंद पड़ी पानी की टंकी नज़र नही आयी |
कानपुर देहात के अजनपुर गांव में ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल देने के उद्देश्य से सरकार द्वारा करोड़ों की लागत से एक पानी की टंकी बनवाई गई थी ओर 2015 में पानी की टंकी गांव के प्रधान के सुपुर्द कर दी गई । इस पानी की टंकी से आस पड़ोस के 4 गांव को पानी सप्लाई किया जा रहा था जिसमें गाव अजनपुर, गाव हिनौती , ब्राह्मण गांव है | तकरीबन 10किलोमीटर के दायरे में पाइप लाइन बिछाई गई जिससे चारों गांव के ग्रामीणों को पीने के लिए शुद्ध जल मिल सके लेकिन महज एक साल के अंदर ही अधिकांश पाइपलाइन फट गई और पानी की सप्लाई पूर्ण रूप से बंद हो गई। अब टंकी शो पीश की तरह खड़ी है ओर 4 साल का वक्त गुजर गया लेकिन किसी भी अधिकारी की इस पानी की टंकी पर नजर नहीं पड़ी |
ग्रामीण बताते हैं कि जब यह पीने के पानी की टंकी शुरू हुई थी तो सभी गांव के लोगों ने राहत की सांस ली थी और मुख्य रुप से पानी की समस्या का समाधान हो गया था लेकिन कुछ महीने में सारी आशाओं पर पानी फिर गया । करोड़ों रुपए की लागत से बनी टंकी के साथ साथ बकायदा यहां तैनात कर्मचारियों के लिए आवास बनाए गए थे जो अब खंडहर में तब्दील हो रहे हैं ।पानी की टंकी को चलाने के लिए ट्रांसफार्मर लगाया गया था और बिजली की उचित व्यवस्था की गई थी। ट्रांसफार्मर और बिजली लगभग 4 सालों से अपना काम कर रहे हैं लेकिन पानी की टंकी बंद पड़ी हुई है ।ऐसा नहीं कि ग्रामीणों ने इस बात की शिकायत नहीं की लेकिन किसी भी अधिकारी ने सुध नहीं ली | इस टंकी को चलाने के लिए एक ऑपरेटर की नियुक्ति की गयी थी| लेकिन वह आपरेटर भी महज कुछ महीने काम कर गायब हो गया | ऑपरेटर का आरोप है कि उसे शुरुआती दिनों में पैसे मिले लेकिन बाद में उसे पैसे मिलना बंद हो गए ,लिहाजा उसने भी काम करना बंद कर दिया |
बहरहाल पूरे मामले मे जब जलनिगम के अधिशासी अभियंता से बात की तो वो अपने विभाग ओर विभाग के ठेकेदार की जांच करवाने की बजाय पूरे मामले मे ग्राम प्रधान को दोषी बताते नजर आए ओर कहा की पानी की टंकी 2015 मे ग्राम प्रधान को सुपुर्द कर दी गई थी | सुपर्दगी के बाद ज़िम्मेदारी जलनिगम की नही ग्राम प्रधान की होती है | अब मामले मे अधिकारी ग्राम प्रधान पर आरोप लगा कर अपना पल्ला झड़ने मे लगे है ओर करोड़ो रुपयो का बंदर बाँट कर लिया गया |
(रिपोर्ट-संजय कुमार, कानपुर देहात)