नई दिल्ली। हाल ही में नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया था कि ट्रेन में दिए जाने वाला खाना इंसानों के खाने लायक नहीं है। अब सीएजी ने ट्रेन में यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल और तकिये को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि रेलवे जो कंबल, चादर और तकिये यात्रियों को देता है तो सालों तक नहीं धुलते।
सीएजी ने संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ट्रेन में इस्तेमाल होने वाले कंबल और चादरें धुलवाने में रेलवे लापरवाही कर रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन कपड़ों की धुलाई का समय है, उसका रेलवे ध्यान नहीं रखता है और इन्हें लंबे समय तक नहीं धुलावाया जाता।
रिपोर्ट में सामने आया है कि कुछ कंबल और चादरें तो ढाई-तीन साल से नहीं धुली है। रिपोर्ट के मुताबिक, नौ जोन के 13 डिपो में तीन साल से कोई कंबल धुला ही नहीं है। वहीं 33 में से 26 डिपो में चादर सालों से बिना धुले चल रही हैं। कुछ जगहों पर पुरानी चादरों को फाड़कर उनसे तकियों के कवर बना देने की भी बात सामने आई है।
नई दिल्ली। हाल ही में नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया था कि ट्रेन में दिए जाने वाला खाना इंसानों के खाने लायक नहीं है। अब सीएजी ने ट्रेन में यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल और तकिये को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि रेलवे जो कंबल, चादर और तकिये यात्रियों को देता है तो सालों तक नहीं धुलते।
सीएजी ने संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ट्रेन में इस्तेमाल होने वाले कंबल और चादरें धुलवाने में रेलवे लापरवाही कर रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन कपड़ों की धुलाई का समय है, उसका रेलवे ध्यान नहीं रखता है और इन्हें लंबे समय तक नहीं धुलावाया जाता।
रिपोर्ट में सामने आया है कि कुछ कंबल और चादरें तो ढाई-तीन साल से नहीं धुली है। रिपोर्ट के मुताबिक, नौ जोन के 13 डिपो में तीन साल से कोई कंबल धुला ही नहीं है। वहीं 33 में से 26 डिपो में चादर सालों से बिना धुले चल रही हैं। कुछ जगहों पर पुरानी चादरों को फाड़कर उनसे तकियों के कवर बना देने की भी बात सामने आई है।