बुलंदशहर — उत्तर प्रदेश के सीतापुर में कुत्तों के कहर को भले ही सीएम योगी ने बेहद संजीदगी से लिया हो, लेकिन बुलंदशहर में सरकारी तंत्र की उदासीनता ने अावारा कुत्तों को आदमखोर बना दिया है. ताजा मामला बुलंदशहर के एक गांव का है
जहां 8 साल के एक मासूम को बाजार से घर लौटते वक्त आवारा कुत्तों ने घेर लिया और उसे बूरी तरह नोच डाला. किसी तरह लोगों ने बच्चे की जान बचाई. आपको को बता दें कि जिले में आदमखोर कुत्तों ने अलग-अलग हिस्सों में 24 घंटे के अन्दर 150 लोगों को कुत्ते अपना शिकार बना चुके हैं.
गौरतलब है कि इन आदमखोर कुत्तों को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी नगर पालिकाओं की हैं लेकिन सिस्टम के डुलमुल रवैए के कारण कुत्तों को कंट्रोल करने की फुरसत किसी को नहीं है. बीमार अस्पताल को इलाज की जरूरत कुत्तों का शिकार मरीज इस उम्मीद के साथ अस्पताल में पहुंचता है ताकि उसको ट्रीटमेंट मिल जाएगा. लेकिन अस्पताल में कुत्तों की घूमती टोली को देखकर उसका हौंसला पस्त हो जाता है.
बुलंदशहर मुख्यालय के सरकारी अस्पताल में आए दिन कुत्तों की बारात देखी जा सकती है. कई बार तो कुत्ते मरीज के बेड पर ही सवार हो जाते हैं.वहीं जिला अस्पताल के डॉक्टर एमपी सिंह कहते हैं कि जिले भर से कुत्तों का शिकार हर रोज 125 से 150 लोग जिला अस्पताल में रैबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए आते हैं. इसमें बच्चों की भी खासा तादाद होती है, अस्पताल में पर्याप्त संख्या में रैबीज के टीकों का स्टॉक मौजूद हैं.