लखनऊ — इस्लामी महीने मोहर्रम का चांद सोमवार को नहीं दिखा लिहाजा अब बुधवार को मोहर्रम की तारीख होगी। वहीं मरकजी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली और शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने बताया कि पहली मोहर्रम की पहली तारीख बुधवार 12 सितम्बर को है जबकि यौमे आशूरा 21 सितम्बर शुक्रवार को मनाया जाएगा।
जंगे कर्बला में हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत के ग़म में मनाये जाने वाले मोहर्रम में बस चंद दिन और बचे हैं। 12 सितम्बर से शुरू होने वाले मोहर्रम को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। इमामबाड़ों में ताजिये रखने के लिए शिया समुदाय के लोगों द्वारा तैयारी की जा रही है। मजलिसों और मातम के लिए फर्श -ए-अज़ा को सजाने में सब जुटे हैं।
बता दें कि ‘मुहर्रम’ इस्लामिक कैलेंडर के साल के पहले महीने का नाम है। मुहर्रम से ही इस्लामिक नए साल की शुरुआत होती है। सऊदी अरब में 11 सितंबर, मंगलवार को मुहर्रम का पहला दिन माना गया है। जबकि पश्चिम एशिया, भारतीय उपमहाद्वीप और आस-पास के मुल्कों में मुहर्रम की पहली तारीख 11 सितंबर शाम को दिखने वाले चांद पर निर्भर है।
गौरतलब है कि ‘मुहर्रम’ का ऐहतराम शिया व सुन्नी समुदाय में अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। शिया समुदाय व सुन्नी समुदाय के कुछ तबके मुहर्रम के शुरुआती 10 दिन ग़म मनाते हैं। क्योंकि 1400 साल पहले इस महीने की 10 तारीख को अल्लाह के पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद (स:अ:व:व) के छोटे नवासे इमाम हुसैन को परिवार के कुछ सदस्यों और 72 अनुयायियों समेत मार दिया गया था।हुसैन पर ये ज़ुल्म 1400 साल पहले करबला (ईराक के शहर) में हुआ। मुहर्रम महीने में हर साल उन्हीं शहीदों का मातम मनाया जाता है।