—-(श्वेता सिंह )
संत का नाम आते ही हमारे जेहन में एक ऐसी छवि उभरकर सामने आती है ; जो लोगों के दुःख – दर्द को दूर कर उन्हें सत्य का मार्ग बताता है।
कहते हैं कि जिसका स्वभाव शांत हो ; वही संत है लेकिन आज के दौर में संत के मायने ही बदल गए हैं। एक तरफ तो आज के संत भोली – भाली जनता के साथ खिलवाड़ कर धन – कुबेर बने हुए हैं और दूसरी तरफ उनकी शर्मनाक हरकतें भी लोगों की आस्था को तोड़ने का काम करती हैं।
पुराने समय में साधु लोग जहां निवास करते थे उन स्थानों को आश्रम कहा जाता था। सबकों वहा आश्रय मिलता था। इन आश्रमों में पशु पक्षी तक निर्भय होकर विचरते थे, लेकिन आज के समय में इन आश्रमों की जगह आलीशान भवनों ने ले ली हैं। झोपडी की जगह संगमरमर के महंगे पत्थर इन भवनों में लगे हुए है। आज के संत आलीशान भवनों के एसी कमरों में रहते है। इनकी सुरक्षा में सैकडों कमांडो लगे रहते हैं। अब सवाल उठता है कि इन संतों को किसका भय है जो इतनी लंबी चौडी फोज इनके आगे पीछे घूमती रहती है। महंगे महंगे मोबाइल रखना संतों का शौक बन गया है। आज का संत स्वयं ही अशांत हुआ घूम रहा है।
लम्बी दाढ़ी , बड़े – बड़े बाल , पीले वस्त्र ,गले में कई मालाएं और दिखावे में भगवान का जाप ,तप और पाखण्ड लेकिन साथ में ही महिलाओं के लिए मन में गहरा प्रेम और उनके साथ गलत करने का इरादा। आज के जमाने में यह सब बातें सौ आने सच साबित हो रही हैं।
नित्यानंद हो या आसाराम , राम – रहीम हो या स्वामी परमानन्द ; इन सबकी ऐसी कारस्तानियां सामने आयी हैं कि इंसानियत भी शर्मसार हो जाये। हरियाणा में रोहतक के पास करौंथा में बने आश्रम में रहने वाला पाखंडी बाबा रामपाल , प्रतापगढ़ के मनगढ़ का रामकृपाल त्रिपाठी उर्फ़ कृपालु महाराज , उन्नाव के स्वामी सच्चिदानंद गिरि उर्फ़ साक्षी महाराज; ये सभी नाम तो ऐसे उदाहरण हैं ; जिन्होंने भगवा चोला पहनकर लोगों की आस्था से ही खिलवाड़ कर डाला। खुद को देवी मां का अवतार बताने वाली मुम्बई की रहवासी राधे माँ पर भी यौन शोषण के आरोप लग चुके हैं। समाज में कुछ कथित बाबाओं की काली करतूतों ने पूरे समाज को गंदा करके रख दिया है। यह योगी भक्ति में तो कम लेकिन महिलाओं के भोगी ज्यादा निकले।
यह भी सर्वविदित है कि जिस संत की पोल खुली है उसके कारनामों को सुनकर लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली।नाबालिग लड़की से रेप के मामले में आसाराम बापू राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद हैं। इसके साथ ही उन पर कई अन्य आपराधिक मामले भी दर्ज हैं जिनमें जमीन हथियाने के साथ-साथ तंत्र-मंत्र के नाम पर बच्चों की हत्या और रेप करने जैसे जघन्य अपराध शामिल हैं। आसाराम के देश में 400 से अधिक आश्रम हैं और लाखों अनुयायी हैं। जिस परिवार की हिम्मत के चलते आज आसाराम पर कानून का शिकंजा कसा। वह परिवार एक वक्त आसाराम का अँध भक्त हुआ करता था और अपने ख़र्चे पर शाहजहांपुर में आसाराम का आश्रम बनवाया था।
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ साध्वी के यौन शोषण मामले में CBI की विशेष अदालत ने 20 साल कैद की सजा सुना दी। सजा के वक्त उनके अन्ध भक्तों ने तो जमकर कहर बरपाया था।
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली आश्रम के स्वामी परमानंद 13 महिलाओं के रेप के आरोप में जेल में बंद हैं। इनमें संतान प्राप्तिे की इच्छुसक महिला अनुयायी भी शामिल हैं। इन पर श्रीलंका के युवक की हत्या का भी आरोप है। बाबा राम शंकर तिवारी उर्फ स्वामी परमानंद का एक कथित सेक्स विडियो भी वायरल हुआ था। बाबा सीसीटीवी कैमरे के सामने महिलाओं को बंद कमरे में बुलाकर उनकी कमर में लाल कपड़ा बांधकर गलत काम करता था। पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब उसका कंप्यूटर खराब हो गया।
बेंगलुरु-मैसूर हाईवे पर नित्यानंद ध्यानदीपम नाम का आश्रम चलाने वाले स्वामी नित्यानंद दक्षिण भारत के मशहूर स्वईघोषित धर्मगुरु हैं। 2010 में एक सेक्स सीडी सामने आई जिसमें कथित तौर पर नित्यानंद एक अभिनेत्री के साथ आपत्तिजनक हालत में नजर आए। सेंट्रल फरेंसिक लैब में की जांच में सीडी सही पाई गई। नित्या्नंद को इस मामले में जेल भी हुई लेकिन बाद में जमानत मिल गई।
चित्रकूट के चमरौहा गांव के रहने वाले भीमानंद महाराज पर भी सेक्स रैकेट चलाने का आरोप लगा था। 1997 में दिल्ली के लाजपत नगर से गिरफ्तार हुए भीमानंद ने जेल से छूटने के बाद खुद को साईं बाबा का अवतार घोषित कर दिया था। पहले गार्ड की नौकरी करने वाले भीमानंद का वास्ताविक नाम शिवमूरत द्विवेदी है। बाबा बनने के बाद 12 साल के अंदर स्वामी भीमानंद महाराज ने करोड़ों की संपत्ति खड़ी कर ली।
देश की 80 प्रतिशत जनता, जो मात्र 20 रूपये में गुजारा करने को विवश है, अपने दुःखों, कष्टों और पीड़ाओं के निवारण की आशा से इन ढ़ोंगी बाबाओं के झूठे व छल से भरे दावों के मकड़जाल में फंस जाती है। इस मकड़जाल में एक बार फंसने के बाद कोई भी बाहर नहीं निकल पाता, क्योंकि इसके बाद ढ़ोंगी बाबा उनकीं आंखों पर ऐसी काली पट्टी बांध देते हैं कि वे चाहकर भी उसे उतार नहीं पाते। जब तक धर्म की आड़ में सरेआम धंधा करने वाले, अय्याशी करने वाले, अंधविश्वास फैलाने वाले, डराने धमकाने वाले, धार्मिक भावनाओ को ठेस पहुंचाने वाले, पाखण्ड व ढ़ोंग रचने वाले, मिथ्य ज्ञान बांटने वाले, असंभव दावे करने वाले, चमत्कारों के नाम पर ठगी करने वाले और इंसानियत के साथ बलात्कार करने वाले ढ़ोंगी संत, गुरू, धर्मोपदेशक, धर्माचार्य पीठाधीश और बाबा जेल की सलाखों के पीछे नहीं पहुंचाये जाएंगे, तब तक स्थिति में कोई सुधार नहीं होगा।
सब कुछ जानने के बाद भी लोग मौन है। लेकिन इतिहास गवाह है जब – जब किसी भी संत को लेकर ऐसे खुलासे हुए हैं ; वह संत जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा है। जब इतना कुछ करना है तो पूर्व में ही इस जहरीले वृक्ष को क्यों नहीं काटा जाता, क्यों इसकी साखों को फलने फूलने दिया जाता है। आज के समय में इसका उत्तर किसी के पास नहीं है सभी निरूत्तर है। इन संतों में ज्यादातर ऐसे है जिन्हें भाषा का भी सही ज्ञान नहीं है, बावजूद इसके इन संतों के भक्तों की भीड में बडे-बडे शिक्षाविद, राजनेता, अधिकारी हाथ बांधकर एक कतार में खडे हुए दिखाई देते है। अब फैसला आपके हाथ में है कि इन संतों की चरण वंदना होनी चाहिए या इनके साथ भी वहीं व्यवहार होना चाहिए जो पाखंडीयों के साथ होता है।