कानपुर — कानपुर देहात के जिलाधिकारी ने तानाशाह की शक्ल एख्तियार कर ली है। दरअसल एक ज़मीन मालिक का लोन को लेकर विवाद बैंक से चल रहा था और उस जमीन मालिक ने बैंक से परमिशन लेकर एक फैक्ट्री मालिक को किराए पर फैक्ट्री दे रखी थी…
जिसके बाद बैंक का लोन ना अदा करने पर बैंक ने ज़मीन मालिक को छोड़ किराए पर चला रहे फैक्ट्री मालिक की फैक्ट्री पर कब्ज़ा कर लिया जबकि ज़िला जज कानपुर ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था ।
बावजूद इसके जिलाधिकारी कानपुर देहात ने जिला जज के आदेश को धता बताते हुए फैक्ट्री पर कब्ज़ा दिलाने का आदेश दे दिया। पुलिसिया लाव लश्कर के साथ ज़िला प्रशासन के आलाधिकारी फैक्ट्री पहुंच गए और जबरन कब्ज़ा दिला दिया ख़ास बात ये उस फैक्ट्री में तकरीबन 500 कर्मचारी कार्यरत है सबको बाहर निकाल दिया गया। त्यौहार सर पर और कर्मचारी बेरोज़गार लिहाज़ा प्रशासन कर्मचारियों के लिए काल बन गया। गौरतलब है डीएम कानपुर देहात अवैध खनन को लेकर विवादित रहे है।
बिना नोटिस बिना कोई सूचना के एक फैक्ट्री मालिक को अर्श से फर्श पर ला दिया . तकरीबन 500 लोगो का रोज़ी रोज़गार छीन कर भुकमरी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। और तो और जिला जज के आदेश को ताक पर रख कर हुक्म दे दिया जाओ कर लो कब्ज़ा क्योंकि मैं यहाँ का सुल्तान हूं मैं ज़िले का मालिक हुं मैं डीएम।
जी हां हम बात कर रहे है कानपुर देहात के जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह की जिन्होंने रानियां स्थित एग्मो प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री पर बैंक को कब्ज़ा करने का आदेश दे दिया। जबकि ज़िला जज कानपुर ने आदेश किया था की यथास्थिति बनाए रखे बावजूद इसके जिलाधिकारी कानपुर देहात राकेश कुमार सिंह ज़िला जज के आदेश को ताक पर रख कर आदेश दे दिया। वहीं मुखिया के आदेश बाद ज़िला प्रशासन पुलिसिया लाव लश्कर लेकर पहुंच गया और एग्मो प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री को सीज़ कर दिया।
फैक्ट्री मालिक फ़रियाद करता रहा कि साहब इस मामले से मेरा कोई लेना देना नहीं है मैं किराएदार हुं विवाद बैंक और ज़मीन मालिक के बीच है। लेकिन जिलाधिकारी का आदेश लिहाज़ा किसी ने फ़रियाद कर रहे फैक्ट्री मालिक की एक ना सुनी और उसे फैक्ट्री से निकाल दिया गया। फैक्ट्री मालिक की माने तो जिलाधिकारी की भमिका संदिग्ध है क्योंकि जब उसने जमीन मालिक से फैक्ट्री किराए पर ली थी तो केनरा बैंक की इजाज़त फैक्ट्री मालिक ने उसे दी थी। करोड़ो रूपये की मशीनरी करोड़ो रुपयों का फैक्ट्री में रखा माल जिलाधिकारी ने सीज़ करा दिया।
जबकि कुछ सप्ताह पहले भी सीओ अर्पित कपूर इस तरह कब्ज़ा दिलाने आये थे। लेकिन उस समय सीओ साहब के पास कोई नया आदेश नहीं था।लिहाजा उन्हें बैरंग वापस जाना पडा। दरअसल विवाद ज़मीन मालिक और बैंक के बीच था किराएदार यानी एग्मो प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री का विवाद से कोई लेना देना नहीं था लिहाज़ा पिछली बार पूरा पुलिसिया लाव लश्कर बैरंग लौट गया था। फिर आखिर उसी आदेश की कॉपी पर आज कैसे पुलिस और प्रशासनिक अमले ने किराएदार यानी एग्मो प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री पर कब्ज़ा करा दिया ये बड़ा सवाल है? जिसका जवाब किसी के पास नहीं है।
बता दें कि एग्मो प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री में तकरीबन 500 लोग काम करते थे। यानी फैक्ट्री के माध्यम से 500 परिवारों का चूल्हा जलता था लेकिन प्रशासन ने बिना सूचना दिए इन कर्मचारियों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया। कर्मचारी हैरान परेशान है कि कहा जाए क्या करें होली का त्यौहार सर पर है और रोज़गार छिन गया उन्हें तो ये भी नहीं पता की आखिर हो क्या रहा है। लेकिन वो कर भी क्या सकते है। उनका कहना है कि जब प्रशासन को इस तरह की कार्रवाई करनी थी तो प्रशासनिक अधिकारी को कम से कम कुछ दिन पहले ही आगाह कर देना चाहिए था।कर्मचारी अपनी फ़रियाद किससे करे क्योंकि सबकुछ जिलाधिकारी के आदेश पर हुआ है लिहाज़ा फैक्ट्री कर्मचारी दर बदर भटकने को मजबूर है।
इस मामले में जब प्रशासनिक अधिकारी से बात की तो उनका सिर्फ एक जवाब था कि माननीय न्यायालय के आफेश का पालन किया जा रहा है जबकि पालन जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह के आदेश का कराया जा रहा था।इस बात को सदर एसडी एम आनंद सिंह ने गलती से स्वीकार कर लिया लिहाज़ा साफ़ हो गया कि कब्ज़ा गलत और जबरन कराया गया है।
(रिपोर्ट-संजय कुमार,कानपुर देहात)