न्यूज डेस्क — सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया है कि फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस की समस्या दूर करने के लिये केन्द्र सरकार ड्राइविंग लाइसेंसों को आधार नंबर से जोड़ने की प्रक्रिया पर काम रही है। साथ ही सभी राज्यों को इसके दायरे में लाते हुए एक नया साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है।
बता दें कि जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के एस राधाकृष्णन की अध्यक्षता में शीर्ष अदालत के माध्यम से नियुक्त सड़क सुरक्षा समिति ने इसकी जानकारी दी। समिति के माध्यम से दी गई यह जानकारी महत्वपूर्ण हो गई है। क्योंकि इस समय चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ आधार योजना और इससे संबंधित कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही है।
समिति ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसने पिछले साल 28 नवंबर को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव के साथ फर्जी लाइसेंस प्राप्त करने की समस्या और इसे समाप्त करने सहित अनेक बिंदुओं पर विचार विमर्श किया था।
रिपोर्ट के मुताबिक फर्जी लाइसेंस के बारे में संयुक्त सचिव ने सूचित किया कि एनआईसी ‘सारथी-4’ साफ्टवेयर तैयार कर रहा है जिसके अंतर्गत सभी लाइसेन्स आधार से जोड़े जाएंगे। यह साफ्टवेयर सही समय पर सारे राज्यों को अपने दायरे में लेगा और फिर किसी के लिए भी डुप्लीकेट या फर्जी लाइसेंस देश के किसी भी हिस्से से लेना संभव नहीं होगा।
समिति का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने पीठ से कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और दूसरे प्राधिकारियों के साथ 22 और 23 फरवरी को समिति की एक बैठक हो रही है। इस बैठक में शीर्ष अदालत के निर्देशों पर अमल के बारे में विचार किया जाएगा। मंत्रालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने पीठ को बताया कि 2016 की तुलना में 2017 में प्राणघातक सड़क दुर्घटनाओं में करीब तीन प्रतिशत की कमी आई है।